समाहरणालय से महज कुछ दूर ये गाँव जहां मूलभूत सुविधा के नाम पर ठेंगा

जीप सदस्य शांतिबाला पैदल पगडंडियों के सहारे पहुँच जाना हालचाल

सिमडेगा:- कहने को तो भारत देश डिजिटल इंडिया की ओर अग्रसर है और यहां पर मूलभूत सुविधाओं की लगातार लोगों को लाभ पहुंचाने का काम कर रहा है लेकिन सिमडेगा समाहरणालय से महज कुछ दूर पर एक ऐसा गांव है जहां पर बिजली सड़क पानी सहित आज तक कोई भी सुविधा गिरगांव पर नहीं पहुंची है जिसके कारण आज भी यहां के लोग आजादी से पूर्व की जिंदगी जी रहे हैं जहां पर के लोगों को ना तो प्रशासन ना तो जनप्रतिनिधि सुध लेती है। सिमडेगा समाहरणालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आरानी पंचायत के जोउकुदर है जहां पर आज तक ना बिजली ना पानी ना सड़क पहुंची है जिसके कारण यहां के लोग आज तक विकास की बाट जोह रहे हैं ।शनिवार को सिमडेगा प्रखंड के जिला परिषद सदस्य शांति वाला केरकेट्टा पगडंडियों के सहारे पैदल पहुंचते हुए उस गांव के ग्रामीणों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को जाना इस दौरान उन्हें ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि यहां पीने का पानी का बहुत बड़ा समस्या है यहां पीने के लिए शुद्ध पर्याप्त रूप से पानी उपलब्ध नहीं है आने जाने के लिए सड़क की व्यवस्था नहीं है ऐसा प्रतीत होता है की बरसात के दिनों में हम प्रखंड मुख्यालय से अलग है कट चुके हैं ।

यहाँ मूलभूत सुविधा की घोर कमी है। क्षेत्र में यह कहना कतई अनुचित नहीं होगा की राज्य सरकार या यहां के आला अधिकारी कभी भी क्षेत्र के विकास के लिए किसी ने कोई काम नहीं किया नाही क्षेत्र में आने का जरूरत समझा ।यहां की आम जनता का कहना है की हम लोग बार-बार चाहे पंचायत चुनाव हो विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव हो हम यहां से चुन करके भेजते हैं लेकिन जीतने के बाद हमारे ऊपर किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया जाता है। हम हमेशा अपने आप को ठगा महसूस करते हैं। हम लोगों का विकास नहीं होने के कारण चाहे चिकित्सा हो यह शिक्षा हो या और भी मूलभूत सुविधा बिजली पानी सभी समस्याओं से हम लोग को रूबरू होना पड़ रहा है हम प्रशासन से मांग करते हैं की इस ग्राम में आकर यहां के लोगों की जो मूलभूत सुविधा है उसे दिलाया जाए इस क्षेत्र का जो पिछड़ापन है उसे दूर किया जाए।

जंगल में साइकिल को पेड़ों से बांधकर घर तक पहुंचते हैं लोग

ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में जाने के लिए सड़क नहीं है किसी प्रकार लोग पगडंडियों का सहारा लेकर कुछ दूर पहुंचते हैं लेकिन उससे आगे जाने के लिए कोई सुविधा नहीं है इसलिए रात को कोई उनके वाहन हो या फिर साईकिल को चोरी ना कर ले इसलिए पेड़ पर लोहे की चैन लगाकर रखते हैं और उसके बाद वहां से आगे अपने गांव की ओर बढ़ते हैं ताकि वह अपना घर पहुंच सके रात भर जंगलों के बीच उनकी वाहन और साइकिल रहती है इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं किस गांव में किस प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होगी यहां के जनप्रतिनिधि और यहां के जिला प्रशासन उस गांव के लिए अपनी आंखें बंद कर लिया है न जाने उस गांव का भाग्य कब खुलेगा और उस गांव का किस्मत कब बदलेगा यह तो आने वाला समय तय करेगा।

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