चापानल और जलमीनार पड़े हैं बेकार: आदिवासी टोला के लोग गंदा पानी पीने को मजबूर

पानी के अभाव में यहां के ग्रामीण दो से तीन दिन में एक बार नहाते हैं, बच्चे भी बिना नहाए जाते हैं स्कूल

आलोक कुमार साहू

जलडेगा:केंद्र या राज्य सरकार भले ही विकास कार्य तेजी से धरातल पर उतारने का दावा करती हो पर आज भी लोगों को पेयजल की सुविधा नहीं मिल रही है। सिमडेगा जिला के जलडेगा प्रखंड का मामाभगिना गिरजा टोली गांव की आदिवासी बहुल इस गांव में 19 परिवार बसे हुए हैं, जो टीनगिना पंचायत के वार्ड नंबर 10 के अंतर्गत आता है। इस गांव के लोग जल संकट से जूझ रहे हैं। इन्हें पीने के पानी की सुविधा नहीं मिल पा रही है। लाखों रुपया खर्च कर पूर्व मुखिया सेतेंग ने गांव के एक पुराने नल में जलमीनार लगवा दिया, कुछ माह पानी निकलने के बाद अब सालों से यह जल मीनार  गांव के लोगों को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है। वर्तमान में यह दोनों विकल्प खराब पड़े हैं। इस वजह से लोगों को पानी के लिए दो किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है। पानी की सुविधा नहीं होने से रोजमर्रा के कामों में ग्रामीणों को परेशानी हो रही है। ग्रामीण खेत में बने एक पुराने कुंआ का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। यहां के लोगों को पानी के लिए हर दिन जद्दोजहद करना पड़ रहा है।

यही कारण है की यहां के लोग हर दो से तीन दिन में एक बार नहाते हैं। पानी के अभाव में बच्चे भी बिना नहाए स्कूल जाते हैं। गांव की शिशिर होरो, तारामणि होरो, सरोज होरो, प्रोमिला होरो, जिनिद होरो, सुषमा होरो, एमलेन होरो, अलिसा होरो, बसंती होरो, सुसारी होरो, सलीम होरो, बिराज होरो, नियरन होरो, गातियन होरो, अमृत होरो सहित अन्य ग्रामीणों का कहना है कि वे जल मीनार बनाने के लिए पंचायत के मुखिया कल्याण गुड़िया से कई बार गुहार भी लगा चुके हैं, फिर भी सालों से आज तक उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है।

पंचायत के मुखिया कहते हैं जल मीनार को बनाने के लिए पैसा लगेगा, पैसा जमा करने पर ही बनेगा।इधर मामले पर मुखिया से बात करने पर उन्होंने कहा की इसकी जानकारी प्रखंड विकास पदाधिकारी जलडेगा को दी जा चुकी है लेकिन अब तक जल मीनार बनाने को लेकर कोई कारवाई नहीं हुई है।

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