ग्रामीणों ने कहा – आवेदन दे देकर थक गए न मनरेगा से किसी का कूप बना ना ही किसी ने एक नल लगवाया

आलोक कु साहू
जलडेगा:झारखंड सरकार खुद को कितना भी आदिवासी हितैषी सरकार साबित करने की कोशिश कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत की तस्वीरें जैसे ही सामने आती है सरकार के तमाम दावों की पोल खुल जाती हैं। कोई भी आम इंसान पानी को देख कर ही बता सकता है कि ये इस्तेमाल करने लायक नहीं है। पानी इतना गंदा है कि साफ-सफाई के लिए इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, लेकिन झारखंड में आज भी कई ऐसे ग्रामीण इलाके हैं जहां लोग साफ पानी के लिए तरसते हैं। ऐसा ही एक मामला सिमडेगा जिला के जलडेगा प्रखंड अंतर्गत कुटुंगीया पंचायत के डूडिंग टोली गांव का है 30 परिवार वाले इस गांव के ग्रामीण सालों से गंदा पानी पीकर ही अपना गुजारा कर रहे हैं। गांव वालों के पास कोई दूसरा विकल्प है ही नहीं। गांव में एक नल तक नही है ना ही मनरेगा से किसी का कूप निर्माण हुआ है। जिसके कारण ग्रामीण घरेलु कामकाज के लिए पहाड़ी रास्ता तय कर सालों पहले जन सहयोग से खोदे गए कुंए का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। इस पानी के लिए ग्रामीणों को जान जोखिम में डालना पड़ता है। ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें 40 से 50 साल हो गए रहते हुए, लेकिन आज तक पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधा नहीं मिली है। गांव में पेयजल के लिए एक कुआं है, जो सालों पहले ग्रामीणों ने जन सहयोग से खोदा गया था। गांव के करीब 30 परिवार इसी कुंए के इसी गंदे पानी पर निर्भर हैं। तपती दोपहरी में महिला, पुरुष व बच्चे सभी पहाड़ी रास्ता तय कर आते हैं।तब जाकर कहीं पानी मिल पाता है। इस कुंए से गंदा पानी निकलता है, इसी पानी को गांव के सभी लोग खुद भी पीते हैं और अपने पालतू जानवरों की भी पिलाते है। ग्रामीणों ने कहा कि कई बार पानी को पीने से बीमार भी हो जाते हैं, लेकिन किसी भी अधिकारी को कोई फर्क नहीं पड़ता।
जनप्रतिनिधियों और बीडीओ को दे चुके हैं आवेदन
सुरसेन कंडूलना, मरियम कंडूलना, बर्नाट कंडूलना, दुतामी कंडूलना, सरानी कंडूलना, ज्योति कंडूलना, मेरी कंडूलना, जोसेफ कंडूलना, सरोज कंडूलना, सैमुएल कंडूलना, हिलारिया कंडूलना, विलियम, नमजन, दोमनिका, गुलशन, जोलेन, बिनोद, सलीम, मगदली और मार्कुश कंडूलना सहित कई अन्य ग्रामीणों ने बताया कि पानी को लेकर उन्होंने पंचायत और ब्लॉक में कई बार आवेदन दिया है। ग्राम सभा में भी प्रस्ताव बनाकर दिया गया है, लेकिन अभी तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है। जन प्रतिनिधि चुनाव के समय वोट मांगने आते हैं। वह वादे करके जाते हैं, लेकिन फिर लौट कर नहीं आते। सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में बीडीओ सहित कई जनप्रतिनिधियों को आवेदन देकर निवेदन कर चुके हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं है। सभी आवेदन ब्लॉक में धूल फांक रहे हैं।