विकास साहु

सिमडेगा: सिमडेगा का राजधानी कहा जाने वाले तामड़ा गांव की सबसे प्राचीन ऐतिहासिक जतरा मेला का 16 दिसंबर दिन शनिवार को विधिवत उद्घाटन होगी। दो दिवसीय ऐतिहासिक मेला की सभी प्रकार की तैयारी की जा चुकी है जहां पर दूर-दूर से खेल तमाशा, बच्चों के लिए मनोरंजन के साधन एवं मिठाई सहित अलग-अलग प्रकार की सामानों की दुकानें सज चुकी है। 16 दिसंबर को विधिवत पहान धर्मनाथ खड़िया के द्वारा ग्राम देवी की पूजन करने के पश्चात विधि विधान के साथ मेला की शुरुआत होगी। इसके बाद दिन में झारखंड मुक्ति मोर्चा सिमडेगा द्वारा रिबन काटकर मेले की शुरुआत की जाएगी।
110 सालों से अधिक वर्षों से लग रहा है मेला
जिस प्रकार 110 सालों से अधिक वर्षों से मेला लगने का इतिहास है इस मेल के पीछे की कहानी बड़ी रोचक है। 1913 आसपास गांव के ही कुछ उत्साहित लोग जिसमे जागेश्वर सिंह महावीर साव, रामलाल साव,शिवलाल श्री साव,बबन श्रीवास्तव, दुर्गा साव,फिरू लोहरा सहित अन्य लोगों के द्वारा क्षेत्र में अच्छी फसल होने और लोगों को संगठित और एक सूत्र में बांधने का प्रयास हेतु छोटा मेंला के रूप में आयोजन किया था।परन्तु दिन प्रतिदिन इसमें आसपास के गांव का सहयोग मिलने लगा और मेल बृहद रूप ले लिया और फिर यहां पर लोग मेला का आनंद लेते थे।
मेला से एक सप्ताह पूर्व झाली मांगने की है परंपरा
तामड़ा जतरा मेला को लेकर शुरुआती दौर से ही झाली मांगने की परंपरा है ।जहां पर छोटे-छोटे बच्चे घर-घर जाकर पारंपरिक गीत गाकर धान चावल आदि चीजों का संग्रहण करते हैं और यह प्रथा 110 वर्षों से लगातार गांव में चली आ रही है। यहां आज भी गांव के छोटे-छोटे बच्चे घर-घर जाकर गीत गाकर शाम के समय धान चावल की मांग करते हैं जिसे जतरा मेला में ले जाकर मुरही एवं चूड़ा बदलकर यात्रा मेला का आनंद लेते हैं। गांव के लोग भी बड़े ही उत्साह के साथ घर में आए नई फसल को दान करते हैं।
कठपुतली नाच रहती थी मेला का आकर्षण केंद्र
इस मेला का सबसे आकर्षक केंद्र की बात करें तो इस मेल में कठपुतली नाच का आयोजन किया जाता था जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते थे यह कार्यक्रम बीरू के नायक समुदाय के लोगों के द्वारा यहां पर दिखाया जाता था और इसे देखने के लिए लोग बड़े ही उत्साह होते थे। लेकिन धीरे-धीरे यह संस्कृति और परंपरा विलुप्त हो गई आज उसके वंशजों के द्वारा यह खेल बंद कर दिया गया और इस मेल में यह खेल अब बंद हो गया।
दो दिवसीय मेला में इस बार होगा भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम
इधर दिन प्रतिदिन लगातार मेल बृहद रूप लेते जा रही है ।एक दिवसीय मेला अब दो दिवसीय रूप ले चुकी है। जहां पर पहले दिन भव्य मेला का आयोजन किया जाता है वहीं दूसरा दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसमें झारखंड के बड़े कलाकारों का आमंत्रित किया जाता है।इस बार भी 17 दिसंबर दिन रविवार को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया है जिसमें झारखंड के बड़े कलाकार कयूम अब्बास ,चिंता देवी रतन बड़ाईक,पंचम राम ,डांसर काजल सहित कई बड़े कलाकारों को बुलाया गया। उक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के दक्षिणी छोटा नागपुर प्रमंडल प्रभारी मंगल सिंह भोक्ता के द्वारा किया जाएगा।
मेला को संरक्षण करने के लिए आयोजन समिति ने प्रशासन से की मांग
प्राचीन मेला को संरक्षण के लिए आयोजन समिति के द्वारा जिला प्रशासन सिमडेगा से मदद की मांग की है ।उन्होंने कहा है कि उक्त मेला स्थल निजी भूमि पर लगाते आ रही है और अब वह जमीन में धीरे-धीरे मकान बनने लगे हैं ऐसे में मेला का अस्तित्व खतरे में आ रहा है ।जिसे ध्यान में रखते हुए बगल में ही सरकारी भूमि है उक्त स्थल पर मिला के लिए स्थान दिया जाए ताकि मेला का अस्तित्व बजे और सदैव के लिए यह मेल संरक्षित रखा जा सके। आयोजन को सफल बनाने के लिए समिति के प्रधान सरंक्षक -शखी ग्वाला,हीरा राम,अध्यक्ष:लाल महतो,उपाध्यक्ष संतोष साहू, राहुल मिश्रा,सचिव कुबेर कैथवार ,राहुल कैथवार, सुभाष कैथवार,कोषाध्यक्ष अरविंद कैथवार छोटा साहू ,अजय बैठा,उप कोषाध्यक्ष मनीष केसरी, जुग्गी ग्वाला, राजकुमार गोप,उप सचिव: ब्रजनाथ कैथवार, रिजवान खलीफा, विक्की बैठा,मुरली केशरी,आयोजन सयोंजक विकास साहु संरक्षक मनोज सिंह ,शत्रुघन श्रीवास्तव ,फूलचंद ठाकुर ,जितेंद्र पुरी मुकेश मिश्रा ,अशोक गुप्ता,पूणा सिंह,किशोर तुरी मीडिया प्रभारी अमन मिश्रा शामिल है।