बानो -प्रखंड के केतुङ्गा धाम स्थित ऐतिहासिक धरोहर आज भी खुले में झाड़ियों के बीच बिखरा पड़ा है। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कुछ लोग इस धरोहर को याद भी करते हैं परंतु सरकार द्वारा अनदेखी करने के कारण लोग चुपी साधे हुए हैं। विश्व को अपनी ज्ञान से एक नई जीवन देने वाले भगवान बुद्ध की प्राचीन प्रतिमा को संरक्षण देने वाला कोई नहीं है। कुछ लोगो ने पहल भी की परन्तु सरकारी प्रक्रिया में उलझ कर मामला ज्यों का त्यों ही रह गया।मालूम हो कि सम्राट अशोक कलिंग के राजा के साथ हुई लड़ाई के बाद कलिंग उड़ीसा से बिहार पाटलिपुत्र लौट रहे थे तभी केतुङ्गा में नदी किनारे अपनी चौरंगी सेना के साथ रुके थे।उसी समय सम्राट अशोक ने यहां भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित कराए थे ।जिसका अवशेष आज भी केतुङ्गा ग्राम से एक किलोमीटर दूर बिखरा पड़ा है।यह पुरातत्व विभाग द्वारा पंजीकृत तो है परन्तु गौतम बुद्ध के पत्थर निर्मित कई मूर्तियां को संग्रहित नही किया गया ।कई चोरी भी हो गए।ग्रामीणों के अनुसार यहां लगभग 10 -15 गौतम बुद्ध के छोटे बड़े मूर्तियां थे जो अब नही है।इसी तरह राजा के मंत्री ,सेनापति द्वारा बक्सा आदि सामान अब पत्थर में प्रवर्तित हो गये है।साथ में चल रहे बैल गाड़ी के बैल के गले का ठरकी आज भी एक जगह देखा जा सकता है ।जो आज ठरकीटांड़ के रूप में जाना जाता है। सरस्वती शिशु विद्या मन्दिर केतुङ्गा धाम के प्रधानाध्यापक सुकरा केरकेट्टा ने कहा अगर गौतम बुद्ध प्रतिमा अस्थल पर छावनी का निर्माण पर्यटन विभाग द्वारा कर दिया जाता तो शिव मंदिर के साथ साथ गौतम बुद्ध की प्रतिमा स्थल भी पर्यटन के रूप में जाना जाता
