बानो: बस स्टैंड यात्रियों की सुविधा के लिये बनती है परंतु बानो बस स्टैंड में ऐसी कोई सुविधा उपलब्ध नही है जिससे यात्रियों को राहत मिल सके। गर्मी के मौसम में पानी पीने की भी कोई सुविधा नही है।यात्री बरसात के दिनों में पास के दुकानों में आश्रय लेते है। स्थानीय लोगों की मानें तो अब तक कई बार जनप्रतिनिधियों का बदलाव हो चुका है सरकार भी बदल गई लेकिन बस स्टैंड की खबर किसी ने नही ली।बस स्टैंड के बने कई दशक हो गये न ही जनप्रतिनिधियों ने ,न विभाग ने इसकी कोई सुधि ली ।गर्मी के दिनों में पेयजल की कोई व्यवस्था नही है।कहने को तो यहां कई जनप्रतिनिधि,राजनीति पार्टी के कार्यकर्ता हैं।परंतु किसी ने जर्जर बस स्टैंड में पेयजल की व्यवस्था करने की पहल नही की ।बस स्टैंड के अगल बगल चापाकल भी नही है।मालूम हो कि पूरे बानो पेयजल की आपूर्ति पाइप लाइन के माध्यम से की जाती हैं परंतु विभाग की ओर बस स्टैंड में एक नल का कनेक्शन नही दिया दिन भर विद्यार्थियों का आना जाना होता रहता है पेयजल की व्यवस्था नही रहने के कारण दूरसे पानी लाना पड़ता है। ज्ञात हो बानो से मनोहर पुर ,रांची ,तोरपा ,सिमडेगा, गुमला ,डाल्टेनगंज आदि जगहों की बसे चलती है।दिन भर यात्रियों का आना जाना लगा रहता है।वर्षो पहले बनी बस स्टैंड में जगह नही मिलने के कारण यात्री अगल बगल में बैठ कर बस का इंतिजार करते है।यात्री शेड का चदरा भी जगह जगह जंग लगने के कारण टूट चुके है ।कई बार देखा गया है कि ट्रेन से आये पैसेंजर को घण्टो बस स्टैंड में बैठ कर बस का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में झोपडी नुमा बस स्टैंड जगह नही मिलती। इसके अलावे बानो प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों से आये ग्रामीणों का आश्रय भी बस स्टैंड ही होता हैं ।वे गर्मी के दिनों पेड़ के नीचे या दुकानों में बैठकर बस का इंतजार करते है ।बस पड़ाव में लगे चदरा जगह जगह टूट चुके हैं। प्रखण्ड मुख्यालय में स्थित यह बस स्टैंड विकास के नाम मुँह चिढ़ाता प्रतीत होता है।
