रामरेखा धाम में कार्तिक मेले की शुरुआत, यहां भगवान श्री राम ने काटे थे वनवास के दिन

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा आज करेंगे सांस्कृतिक धार्मिक मेले का विधिवत उद्घाटन

विकास/अंकित

सिमडेगा:कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर सिमडेगा जिले के ऐतिहासिक रामरेखा धाम मेला की शुरुआत हो चुकी है जहां पर झारखंड बंगाल उड़ीसा छत्तीसगढ़ सहित भारत के अलग-अलग होने से लोग कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर भगवान श्री रामचंद्र के दर्शन के लिए पहुंचेंगे मेला को लेकर लोगों में काफी उत्साह है और इधर मेला में दूर-दूर से आकर दुकानें सजी हुई। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा आज रामरेखा धाम मेला पहुंचकर इस धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेला का विधिवत रूप से उद्घाटन करेंगे जिसको लेकर सभी प्रकार की तैयारी की जा चुकी है आज 12:00 बजे अर्जुन मुंडा के द्वारा मेला की विधिवत शुरुआत की जाएगी।मेले को लेकर जिला प्रशासन एवं रामरेखा धाम विकास समिति की ओर से सभी प्रकार की व्यापक प्रबंध किए गए हैं ताकि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार का दिक्कत ना हो।मेले के चारों ओर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस जवानों की प्रतिनियुक्ति की गई है इसके अलावा ड्रोन कैमरा से नजर रखी जा रही है साथ-साथ समिति की ओर से भी बोल इंटीरियर्स की प्रतिनियुक्ति की गई है ताकि मेले में कोई भी परेशानी ना हो।

गौरतलब हो वैश्विक महामारी कोरोनावायरस 2 वर्षों तक यहां पर मेले का आयोजन नहीं हुआ हालांकि धार्मिक अनुष्ठान जारी रही इस बार भव्य तरीके से मेले का आयोजन किया गया है जहां पर हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी लाखों की संख्या में लोग कुंड में स्नान कर दर्शन करेंगे।

रामरेखा धाम का विशेष महत्व

झारखंड के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों में से एक श्रीरामरेखाधाम त्रेतायुग के समय जुड़ा हुआ है। यहीं वह पावन धाम हैं, जहां भगवान राम अपनी धर्मपत्नी सीता एवं भ्राता लक्ष्मण के साथ वनवास काल की कुछ अवधि गुजारी थी। गुफा के अंदर छत में खींची गई लकीर ही रामरेखा कहलाती है। धाम में पौराणिक शिवलिंग, गुप्त गंगा,धनुष कुंड, सीता चौका व सीता चूल्हा,श्याम वर्ण का शंख आदि दर्शनीय हैं।

विशालकाय गुफा मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण, माता सीता, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, माता सुभद्रा, शिव¨लग, ब्रह्मालीन रामरेखा बाबा, देवराहा बाबा की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। इसके अलावा धाम परिसर में ही शिवालय, गरुड़ स्तंभ, हनुमान मंदिर के साथ-साथ रामरेखा बाबा की समाधी स्थल भी बनाई गई है। जहां दूर-दूर से लोग दर्शनार्थ पहुंचते हैं। विदित हो कि सिमडेगा से करीब 22 किमी दूर छत्तीसगढ़ सीमा से सटे झारखंड का पावन श्रीरामरेखा धाम के प्रति लोगों की असीम श्रद्धा एवं आस्था जुड़ी हुई है। यह धाम जितना पावन है, उतना ही मनोरम भी। हरे-भर पहाड़ के ऊपर बसे यह रमणिक स्थान लोगों को बरबस अपनी ओर खींच लाता है। धाम में पूजा-अर्चना के लिए वैसे तो यहां सालों पर श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। लेकिन इस कार्तिक पूर्णिमा और मांग पूर्णिमा के मौके पर यहां की भीड़ देखने लायक होता है ।श्रीरामरेखा धाम के संत उमाकांत जी कहते हैं कि श्रीरामरेखा धाम त्रेता युग में भगवान राम आए थे। आज भी यहां कण-कण में भगवान के बसे होने का आभास मिलता है। यहां पर आने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।

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