नहाय खाय के साथ पवित्रता और आस्था का महापर्व चैती छठ शुरू

अंकित सिन्हा 

सिमडेगा: नहाय खाय के साथ सिमडेगा में आस्था और पवित्रता का महापर्व छठ की शुरूआत हुई। व्रतियों ने शनिवार को सुविधानुसार नदी तालाब या घर पर नहा कर अरवा चावल की भात और कद्दू की सब्जी बना कर सेवन किया। जिले के सिमडेगा सिमडेगा कुरडेग केरसई सहित कई जगहों पर छठ व्रतियों ने विधि विधान के साथ नहाए खाए के साथ व्रत को शुरू किया। व्रती रविवार को खीर प्रसाद से खरना करेंगी। महाषष्ठी को व्रती शाम को अर्ध्य करेंगी और महासप्तमी के दिन प्रातःकालीन अर्ध्य देकर व्रत का पारण करेंगी। सिमडेगा में अर्ध्य केलाघाघ और छठ तालाब में दी जाएगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार साल में दो बार छठ महापर्व मनाया जाता है। एक कार्तिक मास में पड़ने वाली और दूसरी चैत्र मास में पड़ने वाली। हालांकि कार्तिक मास में पड़ने वाली छठ पूजा का ज्यादा महत्व है। इस पर्व में भी सूर्य की उपासना करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि चैती छठ रखने से सूर्य देव की बहन छठी मईया प्रसन्न होती है जिससे परिवार में सुख-शांति और धन-धान्य बढ़ता है। कार्तिक मास की छठ के आधार में चैती छठ को काफी कम लोग जानते हैं। चैती छठ पूजा के नियम-कानून व पूजा विधी भी कार्तिक मास में पड़ने वाली छठ के जैसी ही होती है।आस्था और पवित्रता का महापर्व छठ पूजा मुख्यत पूर्वी भारत में मनाया जाने वाला प्रसिद्ध पर्व है। बिहार में प्रचलित यह व्रत अब पूरे भारत सहित नेपाल में भी मनाया जाने लगा है। इस पर्व को स्त्री व पुरुष समान रूप से मनाते हैं और छठ मैया से पारिवारिक सुख-समृद्धी तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। कई लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर भी यह व्रत उठाते हैं और आजीवन या जब तक संभव हो सके यह व्रत करते हैं। छठ पूजा में निर्जला व्रत रहकर उगते और डूबते सूर्य की उपासना की जाती है। यह पर्व चार दिवस का होता है और इस दौरान साफ़-सफाई को विशेष महत्त्व दिया जाता है।

छठ पूजा व्रत के महत्वपूर्ण नियम

 छठ पूजा से सम्बंधित कई नियम व मान्यताएं हैं, हालांकि, समय के साथ-साथ इन नियमों में बदलाव होते जा रहे हैं। आइये राष्ट्रीय नवीन मेल के माध्यम से हम छठ से  सम्बंधित प्रमुख नियम जानते हैं:

 छठ पूजा के चार दिन घर पर मांस आहार, और लहसुन प्याज नहीं खाये जाते हैं। इस व्रत के दौरान व्रतधारी व्यक्ति ज़मीन पर सोते हैं। और बिछौने में चटाई और ओढ़ने में कंबल प्रयोग करते हैं।छठ पूजा में महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनते हैं।छठ व्रत स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं। व्रतधारी को इन चार दिनों में शारीरिक स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।छठ पूजा के दौरान अथवा यह पर्व आने वाला हों तब किसी करीबी सगे संबंधी का अवसान हो जाये तब उस वर्ष यह व्रत नहीं करना चाहिए।छठ पूजा के पवित्र पर्व पर काम, क्रोध, मोह, और लोभ का त्याग कर के सुगम सात्विक आचरण करना चाहिए।छठ व्रती बिना सिलाई वाले कपड़े पहनते हैं। जब की त्यौहार में शामिल व्यक्ति नए-नए वस्त्र धारण कर सकते हैं। एक बार छठ पूजा व्रत का आरंभ करने के बाद उसे प्रति वर्ष निरंतर करना चाहिए, जब तक की आगे की पीढ़ी की विवाहित महिला व्रत करना आरंभ न कर दे।

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