जलडेगा:जलडेगा में जंगल के आसपास बसे किसानों के सामने मुसीबतें कम नहीं हैं। एक तरफ हिंसक जंगली जानवरों के हमले का खतरा तो दूसरी तरफ जंगली हाथियों से होने वाले नुकसान से किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि किसानों को नुकसान का मुआवजा मिलने में कभी महीनों तो कभी वर्षों भी लग जाते हैं। दो से तीन साल पहले परबा पंचायत के चुरगीटांड़ में जंगली हाथियों ने किसानों को जो नुकसान किया था, उसका मुआवजा आज तक नहीं मिला है। गांव में जंगली हाथी के आतंक से ग्रामीण दहशत में हैं अकेली महिलाएं घर छोड़कर दुसरों के आशियाने में रात गुजारने को मजबूर हैं। गांव की बिरसमनी देवी, सागो देवी और बुधनी देवी ने बताई हाथी उनके घर, फसल व भण्डारित अनाज को विगत तीन वर्षो से नष्ट कर रहा है लेकिन आज तक एक भी मुआवजा नहीं मिला है। महिलाओं ने कहा कि विभाग के लोग आते हैं क्षतिपूर्ति का आकलन कर फोटो खींचा कर चले जाते हैं लेकिन मुआवजा नहीं मिलता है। रविवार की रात लगभग 8 बजे झुंड से बिछड़े एक जंगली हाथी ने फिर से बिरसमनी देवी के घर को अपना निशाना बना लिया और घर में रखे फसल एवदो क्विंटल भण्डारित अनाज को भी खा गया। बिरसमनी देवी ने कहा कि अब ऐसी स्थिति है कि घर से बेघर हो गई हूं रात दुसरों के घर पर गुजारना पडता है। इधर हाथी अनाज खाने के बाद गांव में घंटों तक मंडराता रहा। इस दौरान ग्रामीणों ने हाथी को खदेड़ने की पुरजोर कोशिश किया लेकिन हाथी को खदेड़ने में नाकाम रहे। ग्रामीण किस हाल में है उन्हे देखने वाला कोई नहीं है। एक तो गांव में बिजली नहीं रहती है ऊपर से विभाग द्वारा प्रयाप्त संख्या में टॉर्च भी उपलब्ध नहीं कराया जाता है जिसके कारण ग्रामीणों को रात को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
