सिमडेगा:-विधायक भूषण बाड़ा ने झारखंड प्रदेश के नवनियुक्त प्रभारी अविनाश पाण्डेय को ज्ञापन देकर आदिवासी इसाई समाज को भयमुक्त रखते हुए हमारे सारे संवैधानिक अधिकार की रक्षा करने की मांग की है। विधायक ने ज्ञापन में कहा है कि पूर्व कि भाजपा सरकार राज्य के ईसाईय समुदाय के लोगों को बर्बाद करने की मंशा से प्रताडि़त करने का काम करते आए हैं। उन्होंने कहा है कि भाजपा सरकार ने संवैधानिक अधिकारों के बिरुद्ध नियम से हट कर संविधान के अनुच्छेद 15, 25, 30 के बिरुद्ध धर्म एवं धार्मिक आधार पर संयत्र रचकर इसाई समुदायों को हमेशा डराया धमकाया गया। साथ ही आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक एवं सामाजिक नुकसान पहुंचाया गया। विधायक ने पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद की 22वीं बैठक में अनुसुचित जनजाति के रुप में दिए जाने वाले अधिकारों एवं लाभों से वंचित करने हेतु स्वीकृत प्रस्ताव को एवं नियम बिरुद्ध किए गए निर्देश को निरस्त कराने की भी मांग की है। जाति प्रमाण पत्र के आवेदन में लागू धर्म के कॉलम को निरस्त कराएंविधायक श्री बाड़ा ने अपने ज्ञापन में वर्ष 2019 में षडयंत्र के तहत आदिवासी ईसाईयों को राज्य के मुख्य धारा से हटाने, सरकारी नौकरी से वंचित रखने एवं अन्य लाभों से वंचित रखने के उद्देश्य से जाति प्रमाण पत्र के आवेदन में धर्म का कॉलम लागू किया गया है। जिसे भी निरस्त कराने की मांग की है। इसके अलावे विधायक ने भाजपा सरकार द्वारा सीएनटी एक्ट उल्लंघन का हवाला देते हुए आदिवासी, ईसाईयों के धार्मिक स्थलों, सभी तरह के शिक्षण संस्थानों को अतिक्रमण मुक्त कराने का एकतरफा आदेश दिया गया दिया गया था। साथ ही ईसाई शिक्षण संस्थानों को भी बंद करने के उद्देश्य से स्वीकृत शिक्षक के पदों पर बहाली प्रक्रिया पर रोक लगा दी। इसका बूरा असर राज्य के गरीब छात्र-छात्राओं पर पड़ रहा है। जिसे भी तत्काल निरस्त कराया जाय। ताकि राज्य के इन शिक्षण संस्थानों में सभी जाति और धर्म के बच्चे पहले की तरह कम खर्च में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ग्रहण कर सके। 1932 का खतियान लागू कराएं: विधायकविधायक ने प्रदेश प्रभारी से राज्य में जाति और स्थानीय प्रमाण पत्र के लिए 1932 का खतियान लागू कराने की भी मांग की है। उन्होंने कहा है कि 1932 का खतियान लागु कराने की मांग राज्य के संपूर्ण मूलवासी की है। 1932 के खतियान को लागे कराकर राज्य के मूलवासी को विभिन्न विभागों में नौकरी सहित कई लाभ दिया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि राज्य में स्थानीय नीति, नियोजन नीति, विस्थापन नीति, क्षेत्रीय भाषा लागू करना ही पहली प्राथमिकता है, क्योंकि आजादी के बाद से ही अजजा, अजा, अल्पसंख्यक समुदाय का बड़ा वर्ग कांग्रेस को हर चुनाव में समर्थन करते आई है। संविधान निर्माताओं ने आदिवासियों के साथ पांचवी अनुसूचि एवं ग्राम-स्वराज का प्रावधान किया है, जिसकी रक्षा वर्तमान सरकार से निहायत जरुरी है। टीएसी जैसे वैधानिक संस्था को मिनि एसेम्ली का दर्जा एवं आदिवासियों के साथ कानून बनाने अथवा कार्रवाई करने के अधिकार को लागू कराने, वनाधिकार पट्टा वितरण में तेजी लाते हुए विसंगतियों को दूर करते हुए आदिवासियों की भूमि अधिग्रहण पर स्वेत पत्र जारी कराने की भी मांग की है। वहीं खनन क्षेत्रों में खनिजों पर आदिवासी रयतों-पट्टेदारों को अधिकार देने की भी मांग की है।
