गुमला के नागपुरी साहित्यकार रामउचित सिंह को किया गया प्रफुल्ल सम्मान से सम्मानित

गुमला। मंगलवार को प्रेस क्लब रांची में नागपुरी भाषा परिषद के तत्वावधान में आयोजित एक समारोह में गुमला जिले के कोटाम ग्राम स्थित नागपुरी भाषा के साहित्यकार रामउचित सिंह को प्रफुल्ल सम्मान से सम्मानित किया गया है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी नागपुरी के महान साहित्यकार प्रफुल्ल कुमार राय जयंती के शुभ अवसर पर रामउचित सिंह एवं डाॅ. शकुन्तला मिश्र को प्रफुल्ल सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. (डाॅ.) रमेश कुमार पाण्डेय, कुलपति प्रो.(डाॅ.) कामिनी कुमार, कुलसचिव डॉ. मुकुंद चंद्र मेहता, वित्त पदाधिकारी डॉ. कुमार आदित्येन्द्र नाथ शाहदेव एवं जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के समन्वयक डाॅ.हरि उरांव उपस्थित थे। वहीं कार्यक्रम का संचालन नागपुरी भाषा परिषद के उपाध्यक्ष डाॅ.उमेश नन्द तिवारी ने किया।
जयंती के अवसर पर मंच को संबोधित करते हुए पूर्व कुलपति प्रो. डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि प्रफुल्ल कुमार राय के मन में जिस प्रकार भाषा के विकास के प्रति लगन और निष्ठा थी, वह आज हम सभी में भी होनी चाहिए । मातृभाषा ही हमें जीने की राह सिखलाती है। मातृभाषा के द्वारा ही हम विकास की सीढ़ियां चढ़ पाते हैं। साथ ही सम्मान पाने वाले साहित्यकारों की प्रशंसा करते हुए नागपुरी जगत में उनके द्वारा किए गए योगदान को सराहा। कुलपति डॉ. कामिनी कुमार ने कहा कि नागपुरी इतनी मधुर भाषा है कि मन सहज ही आकर्षित हो जाता है और दूसरे को बोलते हुए देखकर अपने आप बोलने की चाह उत्पन्न होने लगती है । आज नागपुरी भाषा विकास की सीढ़ियां जहां तक चढ़ पायी है, उसमें प्रफुल्ल कुमार राय जैसे पुरोधाओं का संकल्प और ढृढ़ इच्छाशक्ति ही है। प्रफुल्ल कुमार राय उस हस्ती का नाम है जिन्होंने अपना तन मन धन भाषा व संस्कृति के लिए न्योछावर कर दिया। भाषा के विकास के लिए आज विश्वविद्यालयों में 9 भाषाओं की पढ़ाई हो रही है। हमें एक साथ सभी 9 भाषाओं के विकास के प्रति चिंता करनी चाहिए। झारखंड की भाषाएं संस्कृति की परिचायक है। प्रफुल्ल जयंती और नई पीढ़ी के उत्साह को देखते हुए गर्व महसूस होता है कि हमारा नागपुरी समाज कितना सजग और जागरूक है । रांची विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी डॉ. कुमार आदित्येन्द्र नाथ शाहदेव ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से नागपुरी भाषियों के बीच में प्रेम और सद्भावना बढ़ेगी। मदइती और सहियारो की संस्कृति को हमें कायम रखना है। भाषा के प्रति लोगों की रूचि बढ़ेगी। नागपुरी भाषा लगभग ढाई हजार वर्ष पुरानी भाषा है जो नागवंशिओ के शासनकाल में राजभाषा के रूप में स्थापित थी और छोटानागपुर में नागवंशियों के समय में कभी भी उनके विरूद्ध विद्रोह नहीं हुए। वहीं पद्मश्री मुकुन्द नायक, पद्मश्री डाॅ. रामदयाल मुण्डा सहित अतिथियों ने समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर डॉ. खालिक अहमद, डॉ.महेश्वर सारंगी, डॉ.सविता केसरी, डीएसपी दीपक शर्मा, हरिनंदन महली, मनपूरन नायक, डॉ. संजय सारंगी, डॉ. आलम आरा, डॉ. प्रभात रंजन तिवारी, डॉ. अंजूलता साहू, डॉ. जयकान्त , डॉ. कोरनेल्युस मिंज, डॉ. राम कुमार, रविन्द्र ओहदार, राजमुनी, युगेश कुमार महतो, मनोज कच्छप, संतोष कुमार भगत , सुखराम उराँव, रवि कुमार, मीना कुमारी, सुमन कुमार, पप्पू कुमार महतो, सोनू, रामदेव बड़ाईक, युवराज, श्रीकांत, श्याम, प्रवीण, सौरभ, नेहा, आशा देवी, किरण मिश्रा, उषा कुमारी, पुनी, प्रेम मंजरी , सलोनी आदि शामिल थे आदि उपस्थित थे।

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