सिमडेगा :जमीअत-उलेमा-ए-हिन्द जिला इकाई द्वारा रविवार की शाम शहर के भट्ठीटाेली इस्लामपुर स्थित जमजम काम्पलेक्स में सदभावना संसद का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न धर्मो के धर्मगुरु और बुद्धिजीवी शामिल हुए। सभी धर्मगुरुओं ने सदभावना और सौहार्द को कायम करने और बरकरार रखने तथा मानवता और प्रेम का पाठ पढ़ाया। कार्यक्रम में सिमडेगा धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष बिशप विंसेंट बरवा,वाणीभूषण डा.पद्मराज जी महाराज,आनंद मार्ग के आर्चाय लिलियामन्द अवधुत,सरना समिति के बाबूलाल पाहन,जमीअत के सदर माैलाना मिन्हाज रहमानी सहित कई अतिथियाें ने अपने संबाेधन के जरिए प्रेम भाव का संदेश दिया। कार्यक्रम की शुरुआत जमीअत-उलेमा-ए -हिन्द के महासचिव माैलाना आसिफुल्लाह के द्वारा स्वागत भाषण के साथ हुआ उन्होंने भाषण में बताया कि जमीअत-उलेमा-ए-हिन्द का कारवां का 100 साल हो गए। यह देश में शांति और सौहार्द के लिए 1919 से कार्य कर रहा है। यह भी कि देश को जाेड़े रखने का काम भी समय समय पर करता रहा है। उन्हाेंने कहा कि वर्ष 2021 के कोरोना काल में भी जिले में आक्सीजन का इंतजाम कर लोगों के स्वास्थ्य हित में सेवा देने का कार्य किया था। कार्यक्रम में गुरु माँ साध्वी वसुन्धरा ने “”सारा संसार सुखी रह सकता है-प्रीत और प्यार से” के नज्म के जरिए एकता का संदेश दिया। वहीं शीतल प्रसाद ने एक कविता के माध्यम से मानव-मानव एक हैं बंधुत्व और भाईचारा का आह्वान किया। इससे पूर्व आगंतुक अतिथियाें का बुके देकर स्वागत किया गया तथा शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
बेहतर समाज के निर्माण में सभी बनें वाहक
कार्यक्रम में जैनमुनी डा.पद्मराज जी महाराज ने बेहतर समाज निर्माण के लिए वाहक बनने के लिए सभी वर्ग को साथ आने को प्रेरित किया। जैन मुनि ने आयोजन की सराहना की। उन्हाेंने स्वभाव में मानवता,इंसानियत को जीने से परमात्मा से मिल सकने का संदेश दिए। उन्होनें “इंसानियत ही पहला पाठ है इंसान का, उसके बाद ही पन्ना खोलो गीता और कुरान का” भी अर्थपूर्ण नज्म द्वारा एकसूत्र होने का आह्वान समाज से किया। महाराज ने ऐसे आयोजन होते रहने से समाज में आपसी प्रेम और सम्मान बढ़ने की भी उम्मीद जतायी।

समाज में एकता,बंधुत्व में आई है कमी
बिशप विसेंट बरवा ने देश के सभी नागरिकों को संविधान द्वारा प्राप्त सामाजिक,आर्थिक,धार्मिक उपासना की स्वतंत्रता के अधिकारों का जिक्र करते हुए देश के संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न गणराज्य की स्थापना और अंगीकार करने के 75 वें साल में समाज के एकता,बंधुत्व में आए कमी पर चिंता जताई। बिशप बरवा नेकहा कि भारतीय संविधान के मूल्यों के गिरावट के कारण जो विषमता उत्पन्न हुई है वो सुखद नहीं है। इस कारण पक्षपातरहित न्याय और भाईचारे की इस समय जरुरत है। उन्हाेंने समान अवसर और सम्मान देने की आवश्यकता तथा प्रभाव पर जाेर दिए। बिशप ने समाज में सभी वर्गो को सच्चा प्रेम देने,सभी वर्गो की उन्नति के लिए सहयोग करने से सदभाव आने की आशा जतायी। उन्हाेंने कहा कि कोई भी धर्म स्वार्थपूर्ण जीवन का संदेश नहीं देता है इसलिए धर्म को व्यावहारिक रुप से जीकर भी अमन-चैन ला सकते हैं।
जमीअत सदर ने प्रेम भाव,दया,कर्म द्वारा भाईचारा बढ़ाने की अपील की
माैलाना मिन्हाज रहमानी ने कार्यक्रम में सिमडेगा के बीते वर्षो का जिक्र कर सिमडेगा के सदभाव की यादों को साझा करते हुए बताया कि कैसे हिन्दु-मुसलमान एक साथ रहते थे। उन्हाेंने आपस के भेदभाव मिटाने और शिक्षा का अलख जगाने पर ध्यान देने,प्रेम भाव,दया कर्म द्वारा भाईचारा बढ़ाने की अपील की। लीलुराम अग्रवाल ने कहा कि अपने गुजरे जमाने की यादों के बारे साझा करते हुए सिमडेगा के सौहार्द और सदभावना की प्रशंसा की। जब सभी समुदाय एक दूसरे के साथ खड़े रहते थे। कार्यक्रम में सरना समिति के बाबूलाल पाहन ने आपसी साैहार्द पर जाेर देते हुए ऐसे कार्यक्रमाें के बराबर आयाेजन की बात कही। आनंद मार्ग के आचार्य लिलियामन्द अवधुत ने बेहतर समाज के निर्माण में सबाें काे साथ चलने की अपील की। कार्यक्रम में सेंट्रल अंजुमन के सदर माे.ग्यास, भरत भूषण षांड़गी,जगदीश साहू,अशाेक जैन,ओलिवर लकङा,तिलका रमण,नील जस्टिन बेक,अगुस्टीना सोरेंग,साैरभ बंसल,शमीम अख्तर,लुकमान हैदर,माे.इबरार,कमलेश्वर मांझी,कांशीलाल नायक,सलीम तिर्की सहित काफी संख्या में विभिन्न धर्मसंप्रदाय के लाेग माैजूद थे।