जलडेगा:प्रखण्ड में प्रति दिन जंगली हाथियों कहर बदस्तूर जारी है। हर दिन कोई ना कोई जंगली हाथियों का शिकार बन रहा है। घर बचाए की जान बचाए या फिर घर में रखे अनाज बचाया जाए इधर खेतों में लगे फसलों को भी हाथी रौंद दे रह हैं, जिससे किसानों की नींद उड़ गई है। जंगलों के बीच एक पल समय गुजारना मुश्किल हो गया है। जंगली इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों की हालत धोबी की गधे जैसा हो गया है। वर्षों पहले नक्सलियों से खौफ था आज जंगली हाथी से क्षेत्र में आतंक मचा रहे हैं। ग्रामीण वन विभाग की कार्यशैली से नाराज़ हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग के कर्मी बहुत कम गांव का भ्रमण करते हैं, कभी हमारे साथ गांव जंगल में रह कर देखें तब समझ में आएगी हमारी समस्या क्या है। दुसरी ओर विभाग हाथियों को भगाने के लिए जरूरत से भी कम सामग्री उपलब्ध कराती है। ग्रामीण खुद के जुगाड से हाथियों को भागने पर मजबुर है। सभी ग्रामीण अपने अपने घरों से केरोसिन तेल इकट्ठा कर मशाल बनाते हैं।

वहीं राशन डीलर भी अतिरिक्त एक लीटर किरोसिन तेल नहीं देती जिसका नतीजा ग्रामीणों को रात भर अंधेरे में रहना पड़ता है। जंगली हाथी कभी भी गांव में घुसकर ग्रामीणों के घर, अनाज, फसल बर्बाद करता है कभी कभी ग्रामीणों के जान की बन आती है। और वन विभाग इस बड़ी समस्या ग्रामीणों के भरोसे निपटारा करती है, समस्या से पुर्व कोई पहल नहीं किया जाता है। शनिवार को दिन दहाड़े जंगली हाथियों का झुण्ड सेरेंगदा जंगल पास जलडेगा ओडगा मेन रोड में बिचरन करने से राहगीरों को प्रखण्ड मुख्यालय आना मुश्किल हो गया जंगली हाथियों के कारण ओडगा क्षेत्र के शिक्षक बीआरसी कार्यालय में आहुत बैठक में भाग नहीं ले सके। बताते चलें कि जलडेगा प्रखण्ड कोलेबिरा एवं बानो वन क्षेत्र में आता है और वन क्षेत्र के ग्राम परबा, मंगसपुर, लक्ष्णपुर, सुखाझरिया, कौवादरहा, टाटी, पैतानो, टोनिया ओडगा, कुटुंगिया, मिंजुरगढा, ढेलसेरा, सारूबहार, अनई, सुगारेखा सहित प्रखण्ड भर के ग्रामीण जंगली हाथियों के आतंक से परेशान हैं।
