पाकरटांड:प्रखंड के केशलपुर पंचायत में बुधवार को फिया फाउंडेशन द्वारा पंचायती राज अधिनियम एवं पेशा कानून पर एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया।मौके पर मुख्य रूप से मुखिया ज्योति प्रकाश कुल्लू, उप मुखिया- प्रकाश राय कोटवार एवं पंचायत समिति- मनोरमा एवं प्रखंड समन्वयक मंतोष कुमार उपस्थित रहे जिनके द्वारा प्रशिक्षण दिया गया प्रशिक्षण के द्वारान प्रखंड समन्वयक- मंतोष कुमार के द्वारा ग्राम सभा के बारे में बताया गया कि भारत के 73वें संविधान संशोधन 24 अप्रैल 1993 को लागू किया गया। इस संशोधन ने त्रि स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया। प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के रूप में मनाया जाता है। ग्रामसभा की दो बैठकों के बीच का अन्तराल तीन माह से अधिक से नहीं होना चाहिए। लेकिन, ग्रामसभा के एक तिहाई सदस्यों की लिखित मांग पर या पंचायत समिति या जिला परिषद् या जिला उपायुक्त द्वारा यदि बैठक की अपेक्षा की जाए तो वैसी स्थिति में 30 दिनों के अंदर सभा की बैठक बुलायी जाएगी।अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में ग्राम सभा की अध्यक्षता ग्राम प्रधान के द्वरा किया जाएगा।बैठक का आवाहन डुगडुगी, पोस्टर, माइक इत्यादि के द्वारा किया जा सकता है।वही पेसा कानून 1996 के बारे में बताया गया आदिवासियों के हितों के संरक्षण के लिए बनाए गए इस पेसा एक्ट के लागू हो जाने के बाद वहां ग्राम सभा बहुत अधिक शक्तिशाली हो जाएगी। आपको बता दें कि अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ग्राम सभाओं के माध्यम से ही सामुदायिक संसाधनों जैसे- जमीन, खनिज संपदा, लघु वनोपज की सुरक्षा एवं संरक्षण का अधिकार प्राप्त होता है। यानी पेसा एक्ट प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को स्वीकार करता है।मौके पर सभी गांव के ग्राम प्रधान, पहाण, मुंडा, जेएसएलपीएस के दीदी, फिया फाउंडेशन के जॉन डुंगडुंग एवं ममता कुल्लू उपस्थित थे।
