जेलभोगी स्वतंत्रता सेनानी स्व०सोहन भगत रौतिया का मनाया 47वां पुण्यतिथि

चैनपुर-गुमला जिला के चैनपुर प्रखंड में जेलभोगी स्वतंत्रता सेनानी स्व०सोहन भगत रौतिया का 47वां पुण्यतिथि मनाया गया जिसपर चैनपुर, डुमरी,जारी रायडीह, प्रखंड से स्वतंत्रता सेनानी परिवार अपनें साथ ताम्रपत्र जेल सर्टिफिकेट और राष्ट्रीय स्मारक निधि शुल्क का रशिद लेकर सैकड़ों की संख्या में पहुंच पुण्यतिथि मनाया और विदेशी छोड़ो स्वदेशी अपनाओ का नारा को बुलंद किया गया।
जिसपर मुख्य अतिथि चैनपुर थाना प्रभारी अमित चौधरी नें कहा कि आजादी हमें बड़ी मुश्किल से मिला है और इसलिए हमें अपने स्वतंत्रता सेनानीयों को नहीं भूलना चाहिए।

वहीं स्वतंत्रता सेनानी स्व०सोहन भगत रौतिया के बड़े पुत्र राजेशरण भगत ने कहा कि हमारे बाप दादाओं अंग्रेजों से लड़ कर देश को आजादी दिलाई पर आज ईस क्षेत्र के जितनें भी स्वतंत्रता सेनानी परिवार है उनको सरकार भुल गई जो कि बहुत ही खेद व्यक्त करनें लायक है । उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी स्व०सोहन भगत रौतिया के नाम पर सरकार के द्वारा चैनपुर बाजार टांड़ के पास सड़क के चौराहे को सोहन चौक नाम दिया गया है और वहां पर स्मृति चिन्ह स्वरूप झंडा फहराने के लिए बनाया गया था पर वक्त के हिसाब से अब रास्ता संकरा हो गया और प्रशासन से मांग किया गया है कि स्वतंत्रता सेनानी स्व०सोहन भगत रौतिया का स्मृति चिन्ह का स्थांतरित कर चैनपुर बस स्टैंड के पास उनका मुर्ति स्थापित किया जाए।
वहीं स्वतंत्रता सेनानी स्व०सोहन भगत रौतिया के साथ आंदोलन में भाग ले चुके स्वतंत्रता सेनानी विक्रम सिंह रौतिया नें स्वतंत्रता सेनानी स्व०सोहन भगत रौतिया के द्वारा आजादी के लिए कितना संघर्ष किया और कैसे उनको जेल भी जाना पड़ा ये पुरा वृतांत सुनाया।
आपको बता दें कि स्वतंत्रता सेनानी स्व०सोहन भगत रौतिया स्वतंत्रता आंदोलन वे गुमला जिला क्षेत्र के अनेकों स्वतंत्रता सेनानी का नेतृत्व करते थे और उनका मुख्य हथियार शंख, घंट,और एक जोड़ी धोती कुर्ता था।वे बाजार में और मेले में घुम घुम कर शंख और घंट बजाकर लोगों को इकट्ठा करते थे और अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता का नारा बुलंद किया करते थे।जिसको लेकर उन्हें 6 महिनें रांची जेल में और एक वर्ष पटना में में जेल का सजा भुगतना पड़ा।
देश को आजादी स्वतंत्रता सेनानीयों के बलिदान और त्याग के वजह से मिला है और देश आजाद होने के बाद स्वतंत्रता सेनानी के परिवार को बिल्कुल ही दरकिनार कर देना ये स्वतंत्रता सेनानी के परिवार के साथ अन्याय है जिसपर सरकार को भी ध्यान आकर्षित करनें कि आवश्यकता है

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