जलडेगा में फेल साबित हो रही मनरेगा योजना! जरूरतमंदों को नहीं मिल रही योजना और 100 दिन का काम

जलडेगा:मजदूरों को 100 दिन का रोजगार गारंटी देने वाली मनरेगा योजना जलडेगा में पूरी तरह से सफल साबित नहीं हो पा रही है। ग्रामीण इलाकों में श्रमिकों को काम मुहैया करा गांव में ही रोजगार सुलभ कराने वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना जनप्रतिनिधियों और प्रखंड के जिम्मेदार अधिकारियों के आपसी अंतद्र्वद्व में फंस गई है। इस कारण जलडेगा प्रखंड के टाटी पंचायत अंतर्गत बरबेड़ा गांव में वर्षों से आवेदन देकर निवेदन करने ने बाबजूद अब तक एक कुंआ स्वीकृत नहीं की गई। जबकि योजना के अंतर्गत जॉबकार्ड धारकों (पंजीकृत मजदूर) को सौ दिन के रोजगार की गारंटी देने का प्रावधान है। वहीं रोजगार की तलाश में पंचायत के अधिकाश गांवों से मजदूरों का पलायन जारी है। गांव पहुंचने पर घरों में सिर्फ महिला व बच्चे ही नजर आते हैं। हम बात कर रहे हैं प्रखंड मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर टाटी पंचायत के ग्राम बरबेड़ा गांव में रहने वाले आदिवासियों ने सिस्टम से सहयोग न मिलने पर अपने परिवार के साथ मिलकर बंजर जमीन पर कुआं खोदे हैं। इनकी मेहनत भी रंग लाई है। दरअसल इन आदिवासियों की कोई सुनने वाला नहीं है। कुएं खुदवाने के लिए पांच साल से परेशान इन आदिवासियों ने पहले सरकारी विभागों और अफसरों के चक्कर लगाए। सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में भी इनकी कोई नहीं मगर जब उन्हें निराशा हाथ लगी तो मन मसोसकर बैठने की जगह उन्होंने रात दिन कड़ी मेहनत करने बंजर जमीन में स्वयं कुएं खोदने का निर्णय लिया।मिली जानकारी के अनुसार जलडेगा प्रखंड में बिरसा सिंचाई कूप संवर्धन योजना के तहत 30 कुंआ खोदने का लक्ष्य प्राप्त है इसके बाबजूद भी मनरेगा कर्मी जरूरतमंदों को योजना का लाभ नहीं दे रहे हैं। यही कारण है कि आज जलडेगा प्रखंड के कई गांव में लोग मनरेगा में काम नहीं मिलने से पलायन करने को विवश हैं।

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