आखिर क्यों बैंक में खाता होने के बाद भी बैंक ऑफ इंडिया ने चेक जमा लेने से किया इनकार

जलडेगा:-वो सरकारी काम ही क्या जिसके चक्कर लगाते लगाते आपका चप्पल ना घिसे, सुन कर आपको भी हैरानी होगी कि आखिर बैंक ऑफ इंडिया चेक जमा लेने से क्यू इनकार करेगा। लेकिन ये बात सत्य है। हाथों में मुआवजे राशि का चेक लेकर अपने पैसों को रिलीज कराने के लिए हाथी प्रभावित व्यक्ति परबा पंचायत निवासी रामबिलास तिर्की दो महीना से बैंकों के चक्कर काट रहे हैं। अखबार का सहारा लेकर मामला को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए पीड़ित रामबिलास तिर्की ने राष्ट्रीय नवीन मेल को बताया कि पिछले वर्ष 2021 में जंगली हाथियों ने उनके घर को क्षतिग्रस्त कर दिया था और घर में रखे कुछ अनाजों को भी नष्ट कर दिया था। जिसके बाद वन विभाग द्वारा पंचनामा बनाकर कुछ महीनों के अंदर मुआवजे के रूप में उन्हें आईडीबीआई बैंक का 6,600 रुपए का चेक दिया गया। चेक को क्लीयर करने के लिए पीड़ित रामबिलास तिर्की ने जब बैंक ऑफ इंडिया जलडेगा आया तो बैंक में उनका अपना खाता होने के बाद भी उनका चेक नहीं जमा किया गया। पीड़ित व्यक्ति के अनुसार बैंक अधिकारियों ने उसे कोलेबिरा वन विभाग जाने की नसीहत दी। और जब पीड़ित वन विभाग रेंजर कार्यालय गया तो उसे सिमडेगा भेज दिया गया। सिमडेगा से फिर जलडेगा बैंक भेजा गया। पीड़ित ने बताया कि अभी तक बैंक ऑफ इंडिया का 3 बार, कोलेबिरा रेंजर कार्यालय का 2 बार और 1 बार सिमडेगा का चक्कर काट चुका है लेकिन फिर भी कहीं पर चेक जमा नहीं हुआ। यहीं नहीं उन्होंने कहा कि इसी जनवरी महीने में चेक का अवधि समाप्त हो जाएगी। 


सांसद प्रतिनिधि ने कहा बैंक का रवैया दुर्भाग्यपूर्ण
इधर मामले पर स्थानीय सांसद प्रतिनिधि सुजान मुंडा ने भी बैंकों के रवैए को बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए गरीबों को बिना वजह परेशान करने वाले कर्मियों पर कार्रवाई करने के लिए उपायुक्त सिमडेगा से आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि हाथी प्रभावित लोगों का हर काम जल्दी करना चाहिए इतने दुर दूर से लोग अगर एक ही काम को कराने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटेंगे तो फिर रोज कमा कर खाने वाले लोगों का डेली का मजदूरी कहा से आएगा। इसकी भरपाई कौन करेगा।

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