कंस्ट्रक्शन कंपनीयों के उदासीनता के कारण गंदा पानी पी रहे हैं ग्रामीण

जलडेगा:झारखंड सरकार ने राज्य के सभी गांवों को सोलर जलमीनार के माध्यम से पानी मुहैया कराने का फैसला लिया है। नि:संदेह सरकार का ये फैसला सराहनीय है। लेकिन क्या इस फैसले का तय नियम और सही तरीके से धरातल पर इंप्लीमेंट किया जा रहा है? क्या अधिकारी और मुखिया सरकार का साथ दे रहे हैं? इन सवालों का जवाब ढूंढना हो तो जलडेगा के किसी भी गांव में लगे जलमीनार के पास जरुर जायें और देखें। आप देखेंगे कि जारी किये गये फंड के अनुरुप काम बिल्कुल नहीं हो रहा है। आखिर ऐसा क्यों? क्या है माजरा? इसे समझने की जरुरत है। जलडेगा के अलग अलग पंचायतों में दिसंबर 2022 से लगभग 150 से भी अधिक जलमीनार अधिष्ठापन करने का काम शुरू तो हुआ परंतु 9 माह बाद भी सभी जगह काम अधूरे हैं। नौ माह बीत जाने के बाबजूद भी कंस्ट्रक्शन कंपनियां अभी तक एक भी जलमीनार को हैंडओवर नहीं कर पाई है। एक भी जलमिनार अभी तक पूर्ण रूप से कंप्लीट नहीं हुआ है। हर जलमीनार में कुछ न कुछ शिकायत देखने को मिल रहा है। ग्रामीण तो ग्रामीण यहां तक कि जल सहिया भी कंस्ट्रक्शन कंपनियों के कार्य से नाखुश हैं।
कंस्ट्रक्शन कंपनी के उदासीनता के कारण गंदा पानी पी रहे हैं ग्रामीण
ग्रामीणों को जब पता चला कि उनके गांव में जलमीनार लगने वाला है, तब लोग खुशी से झूम उठे थे, उन्हे लगा था की गर्मी के दिनों में उन्हें पानी के लिए दर दर नहीं भटकना पड़ेगा, लेकिन ग्रामीणों की यह खुशी महज कुछ दिनों के लिए ही था, ग्रामीणों को कल भी गर्मी के दिनों में दाड़ी का गंदा पानी पीना पड़ा और आज बरसात के समय में भी कंस्ट्रक्शन कंपनी के उदासीनता के कारण खेत का गंदा पानी पीना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला टाटी पंचायत के बाड़ीबृंगा पाहन टोली से आया है जहां पर ग्रामीणों को पेयजल के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। यहां के ग्रामीण कपड़ा धोना, नहाना, बर्तन धोना आदि अन्य काम खेत का बरसाती पानी से कर रहे हैं। गांव में एक नल है जो विगत तीन – चार महीने से खराब है। ग्रामीणों के अनुसार जय मां कंस्ट्रक्शन नामक कंपनी विगत पांच छः महीने से जल मीनार का काम अधुरा छोड़कर, सामान फेंक कर फरार है। जलमीनार निर्माण के रुप में सिर्फ फाउंडेशन बनाया गया है। लोगों का कहना है जलमीनार बनेगा अथवा नहीं इसका हमें भी पता नहीं है। गांव की बसन्ती कन्डुलना, फगुनी कन्डुलना, बीनी कन्डुलना, सालमी कन्डुलना, बिरसी कन्डूलना, मीना कन्डुलना, सिलबीना कन्डूलना सइलवन्तई कन्डुलना, मोनिका कन्डुलना बिरसा कन्डुलना कहती हैं गांव से करीबन तीन सौ मीटर दूर बुजुर्गों का बनाया एक कुआं है जिससे पीने का पानी मिलता है। गांव के 12-13 परिवारों को पीने के पानी के लिए काफी जद्दोजहद करन पड़ता है। लेकिन विगत कई महीने से नल खराब होने से गांव के लोग पेयजल पानी की समस्या से जुझ रहे हैं। जलमीनार की उम्मीदें भी टुट चुकी है।
जिस नल में पानी नहीं वहां भी खड़ी कर दिए जा रहे हैं जलमीनार
भितबुना, भुंडुपानी, बराईबेड़ा, बाड़ीब्रिंगा, परबा लमडेगा सहित कई अन्य गांव के ग्रामीणों ने बताया कि जल मीनार अधिष्ठापन करने वाले कंस्ट्रक्शन कंपनियां बहुत ही घटिया तरीके से काम कर रही है, कई जगह अभी तक भी घर तक नल नहीं पहुंचा है तो कई जगह बिना पानी के ही नल में मोटर लगाकर जल मीनार खड़ी कर दी गई है। कहीं टूटा हुआ सोलर लगा दिया गया तो कहीं महीनों से स्ट्रक्चर खड़ा कर के छोड़ दिया गया है