उर्दू शिक्षकों के पदों को समाप्त करने के विरोध में अंजुमन तरक्की उर्दू और केंद्रीय अंजुमन इस्लामिया ने किया प्रदर्शन

सिमडेगा :राज्य सरकार द्वारा उर्दू शिक्षकों के 4401 पदों को समाप्त करने के विरोध में अंजुमन तरक्की उर्दू और सेंटल अंजुमन इस्लामियां के बैनर तले विराेध प्रर्दधन किया गया। इस्लामपुर में आयाेजित विराेध प्रर्दशन कार्यक्रम में लाेगाें ने प्रारूप की कॉपी जलाई और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए झारखंड सरकार से नियमावली को वापस लेने की मांग की गई। माैके पर अंजुमन के पदाधिकारियाें ने प्राथमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी उस आदेश को तुरंत वापस लिए जाने की मांग की जिसमें उर्दू प्रशिक्षित शिक्षक के शत-प्रतिशत पद एवं स्नातक प्रशिक्षित सहायक शिक्षक संवर्ग के 50 प्रतिशत सीधी नियुक्ति से भरे जाने वाले पद को मरणशील संवर्ग घोषित कर उर्दू शिक्षकों की बहाली पर रोक लगाने की बात कह गई है। अंजुमन सदर माे.ग्यास ने कहा कि हम उर्दू भाषी निदेशालय की इस अलोकतांत्रिक एवं असंवैधानिक कार्रवाई से चिंतित हैं क्योंकि निदेशालय का यह कदम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की घोषणा के अनुरूप नहीं है। साथ ही निदेशालय को यह अधिकार नहीं है कि वह बिना राज्य कैबिनेट के निर्णय के किसी संवर्ग को मरणशील घोषित कर दे। माैलाना मिन्हाज रहमानी ने कहा कि उर्दू भाषा को एकीकृत बिहार के समय से ही राज्य की दूसरी राजभाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है। जिसकी झारखंड बनने की बाद भी सरकारी गजट में पुष्टि की गयी है। अब उर्दू शिक्षकों के रिक्त पड़े पदों पर नियुक्ति किए जाने के बजाय पदों को ही समाप्त करने की साजिश राज्य के उर्दू भाषी लोगों के साथ अन्याय है। अभी भी वर्षों से 3500 से अधिक सरकारी विभागों में उर्दू के पद रिक्त  हैं जिन्हें भरा जाना बाकी है। उर्दू के साथ ये अन्याय असहनीय है। उर्दू भी संविधान से मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं में एक है,इसे भी वो सुविधाएं मिलनी चाहिए जो अन्य 22 भाषाओं को मिल रही हैं। कहा गया कि इस मामले में सीएम अपने स्तर से हस्तक्षेप कर उर्दू शिक्षकों की बहाली में आए व्यवधान को खत्म किए जाने का आदेश दें और उचित कारवाई कर इस आदेश काे अविलंब निरस्त करें ताकि उर्दू आबादी में जो आक्रोश  और गुस्सा है,वो समाप्त हो। माैके पर डा.माेहसीन आलम,हाजी जावेद,लुकमान हैदर,इफ्तेखार लल्लु,माे इम्तियाज,सलमान आरिफ,माेअज्जम,अय्युब अंसारी,तहमीर रिंकू,अनस,मिन्हाज सहित कई लाेग माैजूद थे।

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