जलडेगा के जंगलों में “पुष्पा राज”

सवालों के घेरे में वन विभाग! दिन के उजाले में कट रहे हैं पेड़, रात में होती है ढुलाई; कुम्भकरणी निद्रा में लीन हैं वन अधिकारी

जलडेगा:वन विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के मामले अधिकांशत: सामने आते ही रहते है। वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही उनकी कार्यप्रणाली को संदेहात्मक बनाती है। जिसके चलते क्षेत्र में वनों की कटाई पर रोक नहींं लगा पाती है। दरअसल इसी लापरवाही के कारण ही वनों की कटाई पर अंकुश नहीं लग पाता है और विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को बदनामी का दंश झेलना पड़ता है। सिमडेगा जिले के जलडेगा प्रखंड में आये दिन हरे भरे वृक्षों को काटा जा रहा है। और जब तक विभाग को इसका पता चलता है तब तक प्राय: देखा गया है कि वन विभाग की टीम अधिकांश कार्यवाही में नाम पर केवल जंगलों में कटे पेड़ों के ठूंठ को देखकर ही इतिश्री कर लेता है जिसके चलते वृक्ष की कटाई निरंतर जारी है। मामला जलडेगा थाना क्षेत्र से जुड़ा है। जलडेगा के जंगलो को फिर से लकड़ी तस्करों की बुरी नज़र लग चुकी है। कोनमेरला पंचायत क्षेत्र के बड़कीटांगर गांव के आसपास के जंगलों के साल पेड़ों की कटाई बदस्तूर जारी है। लकड़ी माफिया बेखौफ होकर पेड़ों की कटाई कर तस्करी में मस्त हैं जबकि वन विभाग को मामले की रत्ती भर भी जानकारी नहीं है। क्षेत्र में जारी लकड़ी तस्करी वन विभाग के कार्यप्रणाली पर कई तरह के सवाल खड़े करता है मसलन विभाग की ख़ुफ़िया सुचना तंत्र प्रणाली पूरी तरह फेल है जबकि आसपास के ग्रामीणों द्वारा विभाग को सुचना ना जाना विभाग की कमी को साफ दर्शाता है। इस मामले में आसपास पशु चरा रहे ग्रामीणों ने दबे स्वर में बताया की लोग कुल्हाड़ी एवं अन्य औजार लेकर आते हैं एवं दिनभर पेड़ों की कटाई करते हैं एवं रात हो जाने पर तस्कर गाड़ी लेकर मौके पर आते हैं एवं लकड़ी लोड कर आराम से ले जाते हैं साथ ही मौके पर बचे खुचे अवशेष भी साफ कर देते हैं बस मौके पर पेड़ों की कटी हुई ठूँठ नज़र आती है। उक्त मामलों से साफ झलकता है की विभाग लकड़ी की तस्करी रोकने में पूरी रहा फेल है।इस संबंध में डीएफओ अशोक कुमार गुप्ता ने कहा की मामले की जाँच की जाएगी। वहीं पेड़ रैयत भूमि पर है अथवा वन भूमि पर ये जाँच के बाद पता चल पाएगा अभी ट्रेनिंग में होने के कारण स्टाफ की कमी है।

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