सिमडेगा जिला में क्षेत्रीय भाषा की सूची में उर्दू के शामिल करने का भाजपा ने किया विरोध

सिमडेगा- झारखंड सरकार द्वारा भाषा विवाद के बाद नया नोटिफिकेशन जारी किया गया है जिसमें सिमडेगा जिला में क्षेत्रीय भाषा की सूची में उर्दू को भी रखा गया है। भाजपा जिला अध्यक्ष लक्ष्मण बड़ाईक सरकार के इस फैसले का पुरजोर विरोध किया है। एवं कहा कि सरकार जन भावनाओं का अनादर कर रही है सिमडेगा जिले में उर्दू बोली ही नहीं जाती है पर वोट बैंक की तुष्टीकरण हेतु सरकार अनाप-शनाप फैसले ले रही है भाजपा इसकी कड़ी आलोचना करते हुए विरोध करती है।वहीं पूर्व मंत्री विमला प्रधान ने सिमडेगा जिला में उर्दू को क्षेत्रीय भाषा में शामिल किए जाने पर कहा सरकार निर्णय लेने में अक्षम हो गई है ब्यूरोक्रेसी इस सरकार को नचा रही है स्टूडेंट रोजगार को लेकर सड़क में है और आदिवासी मूलवासी भाषा को लेकर सड़क में है सिमडेगा जिला में रहने वाले मुस्लिम धर्मावलंबी भी उर्दू के बजाय हिंदी एवं नागपुरी भाषा का उपयोग करते हैं पर सरकार बिना कोई नीति निर्धारण किए, वैसे जिलों में भी उर्दू को क्षेत्रीय भाषा बना दिया गया है जहां पर उर्दू बोली ही नहीं जाती है, सिमडेगा जिले में खड़िया समाज की आबादी है उर्दू के जगह क्षेत्रीय भाषा के सूची में खड़िया भाषा को जोड़ा जाना चाहिए भारतीय जनता पार्टी सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह करती है।सांसद प्रतिनिधि सुशील श्रीवास्तव ने जिले के क्षेत्रीय भाषा की सूची में उर्दू को जोड़ने पर कहा कि इस सरकार के पास विकास का न विजन है न रोजगार देने की क्षमता इसीलिए आए दिन विवादास्पद निर्णय जनता पर थोप देती है ताकि लोग एक दूसरे से लड़ते रहे और विकास और रोजगार की दिशा में सोचे ही नहीं, इस सरकार की न ही नियत ठीक और ना ही नीति।भाजपा इस निर्णय का विरोध करती है।

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