सिमडेगा लंबे अरसे बाद सिमडेगा विधायक भूषण बाड़ा के पहल पर शहीद जॉन ब्रिटो कीड़ो के गांव का पहुंच पथ चकाचक होंगी। विधायक भूषण बाड़ा के प्रयास से हलवाई नदी स्थित शहीद के प्रतिमा स्थल से उनके गांव होते हुए बिरकेरा तक 3 किमी सड़कें कालीकरण बनेगी। इसके बाद शहीद के गांव वालों को आवागमन करने में सहूलियत होगी। जिसका शिलान्यास 24 जुलाई को दिन के 11 बजे विधायक भूषण बाड़ा के कर कमलों से सम्पन्न होगा। ज्ञात हो कि शहीद जॉन ब्रिटो कीड़ो के गांव पिंडाटांगर का पहुंच पथ काफी जर्जर है। सड़क में बड़े बड़े बोल्डर निकल आये हैं। सड़क जर्जर होने से यहां के ग्रामीणों को आवाहन में काफी परेशानी होती है। काफी लंबे अरसे से शहीद के परिजन और ग्रामीण सड़क निर्माण करने की मांग कर रहे थे। विधायक भूषण बाड़ा शहीद की पुण्य तिथि पर शहीद के घर पहुंच शहीद जॉन ब्रिटो कीड़ो के पिता से मिलकर सड़क को जल्द बनवाने का आश्वासन दिया था। इसके उन्होंने सड़क बनवाने की अनुशंसा की। इधर सड़क बनने की सूचना मिलते ही ग्रामीणों में खुशी की लहर है। *मरनोपरांत वीर चक्र से सम्मानित हुए थे शहीद जॉन ब्रिटो कीड़ो*देश की आन, बान व शान वीर सपूत जॉन ब्रिटो किड़ो भारतीय शांति रक्षा सेना में शामिल रहे थे। श्रीलंका में छिड़े गृह युद्ध के विराम एवं शांति स्थापित करने के उद्देश्य से भारतीय सेना संग वहां गए थे। जहां उन्होंने 13 सितंबर 1989 को विद्रोहियों से संघर्ष करते हुए वीरगति को प्राप्त की थी। मरनोपरांत उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। जॉन ब्रिटो किड़ो श्रीलंका के ट्रिकोमाली में लाइट मशीनगन नंबर 1 पर कार्यरत थे। वे इसी कड़ी में नाला को पार कर रहे थे। जो बारूदी सुरंगों से बिछी हुई थी। इसी बीच अचानक सामने से भारी गोलीबारी शुरू हो गई। वे मोर्चा संभालते हुए विद्रोहियों से लोहा लेने लगे। इसी क्रम में दुर्भाग्यवश उनका एक पैर बारूदी सुरंग पर पड़ गया। अति गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी वे मोर्चे पर डटे रहे और विद्रोहियों पर हमला करते रहे। लाइट मशीनगन से फायरिग करते रहने से उनके साथियों को बहुत बल मिला। जब जॉन की हालत अधिक बिगड़ती गई तब उनके साथी स्ट्रेचर पर लेकर उन्हें सुरक्षित स्थल की ओर ले जाने लगे। हालांकि विद्रोहियों ने उनकी टीम को फिर घेर लिया और दोनों ओर से हुई भारी गोलीबारी में एक गोली जॉन ब्रिटो किड़ो की गर्दन में लग गई। हालांकि उन्होंने मरते दम तक अपना गन चलाते रहे और एक वीर की भांति वीर गति को प्राप्त किया। इस प्रकार उन्होंने श्रीलंका में भारतीय सेना द्वारा किए गए आपरेशन पवन में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
