बिजली कटते ही अंधकारमय हो जाता है कस्तूरबा गांधी विद्यालय

वार्डन और प्रबंधन समिति की लापरवाही के कारण खुद के घरों से लाए हुए टॉर्च के सहारे पढ़ते हैं बच्चे

जलडेगा: प्रखंड के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की वार्डन और विद्यालय प्रबंधन समिति की लापरवाही के कारण आवासीय विद्यालय में आज भी वैकल्पिक बिजली की व्यवस्था नहीं हो पाई। जिम्मेदारों की लापरवाही का नतीजा आज स्कूल की छात्राओं को झेलना पड़ रहा है। महीनो पहले अभिभावकों की शिकायत पर स्कूल में बिजली की समस्या को अखबार में प्रकाशित कर जिम्मेदारों की नजरें इनायत की गई थी। लेकिन सब धरा का धरा रह गया। आज तक स्कूल में बिजली की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नही की गई। अभिभावक बैठक के दौरान छात्रवास में रहने वाली कुछ लड़कियों ने अपने माता पिता को यह जानकारी दी थी की बिजली कटने पर यहां पूरा अंधेरा में रहना पड़ता है, रात के समय अंधेरे में अकेले बाथरूम जाना में डर का सामना करना पड़ता है। यही नहीं बिजली कटने से बच्चे पढ़ भी नही पाते हैं। अभिभावकों के द्वारा समस्या को प्रबंधन समिति की बैठक में भी रखा गया लेकिन समिति ने इस पर न ही कोई रुचि दिखाई न ही वार्डन ने इसकी जिम्मेदारी ली। जिसके बाद माता पिता बाजार से टॉर्च और स्टडी लैंप खरीदकर अपने बच्चों को दिया है।

विद्यालय में लगे सीसीटीवी बेकार, अंधेरे का फायदा उठाकर कोई भी घुस सकता है स्कूल

रात में बिजली कटने के बाद विद्यालय में लगे सीसीटीवी सब बेकार हो जाते हैं, चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा छा जा जाता है, यहां बिजली जाने पर कोई भी स्कूल की चारदीवारी फांद कर आसानी से अंदर घुस सकता है। शिक्षिकाओं के कमरों में लाइट की रोशनी तो दिखाई पड़ती है लेकिन बच्चों के कमरे अंधेरा रहता है।

बिजली की समस्या को लेकर वार्डन ने अभी तक किसी भी अधिकारी को नही दिया लिखित आवेदन

ये बात सच है की अगर अपना काम बन रहा है तो बाकी और लोगों की सोचने की कोई आवश्यकता ही नहीं है। ठीक यही हाल कस्तूरबा की वार्डन सीमा लकड़ा का है, इसे पहले जब वार्डन से खबर लिखने से पहले बात की गई थी तो उन्हों कहा था की जल्द ही इसपर वरीय अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहेंगे, लेकिन आज फिर जब हमने वार्डन सीमा लकड़ा से बात की तो उन्होंने कहा की अभी तक उन्हीं किसी भी अधिकारी को बिजली की समस्या को लेकर लिखित आवेदन नही दिया है। इससे यह समझा जा सकता है की स्कूल में लाइट रहे या ना रहे इससे विद्यालय की वार्डन और प्रबंधन समिति को कोई मतलब नहीं।

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