सिमडेगा: सिमडेगा में जंगल से अवैध पेड कटाई और लकडी तस्करी का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। वन विभाग ने देर रात लकड़ी तस्करी के विरूद्ध छापामारी करते हुए तस्करी की जा रही 18 बोटा साल लकड़ी जब्त किए हैं।सिमडेगा के जंगलों को काट कर खत्म कर देने पर आतुर लकड़ी तस्कर हर बार वन विभाग को चकमा देने के लिए अलग अलग जंगलों से लकडी काट कर तस्करी करते हैं। कभी कभी इन लकड़ी तस्करों की सूचना वन विभाग तक पंहुच जाती है तब तस्करी की लकड़ी वन विभाग के कब्जे में आ जाती है। बुधवार देर रात भी वन विभाग को जलडेगा क्षेत्र में लकड़ी तस्करी की सूचना मिली थी। सूचना के आलोक में खुद डीएफओ अरविंद कुमार वन कर्मियों संग रात्रि करीब दो-तीन बजे पंडरीपानी जलडेगा मार्ग पर सघनता से छापामारी करते हुए बढने लगे इसी क्रम में बिझियाबांध के पास एक ट्रैक्टर और एक बाइक आती नजर आई। डीएफओ ने जब इसे घेरने शुरू किया तो बाइक चालक ट्रैक्टर चालक को इशारा किया और बाइक चालक के साथ ट्रैक्टर चालक भी अपने अपने वाहन को छोड़कर अंधेरे का फायदा उठाते हुए जंगल की तरफ भाग गए।

जिसके बाद सभी ट्रैक्टर के नजदीक पंहुचे तब देखा कि ट्रैक्टर में साल के बडे बडे बोटे लदे हैं। डीएफओ के निर्देश पर वन कर्मियों ने लकडी लदी ट्रैक्टर और बाइक को जब्त कर मुख्यालय वन कार्यालय परिसर लाए। गुरूवार को सुबह ट्रैक्टर में लदी साल के बोटा की गिनती की गई। बडे बडे साइज के 18 बोटे ट्रैक्टर में लदे मिले। जिसका मूल्य 65 हजार रूपए आंका गया। वन विभाग मामले में अग्रतर कार्रवाई करने में जुट गयी।गौरतलब हो सिमडेगा के जंगलों को लकड़ी माफिया अपना साॅफ्ट टारगेट बनाए हुए हैं। इसी पेड कटाई मामले में इसी वर्ष के शुरूआती दौर चार जनवरी को कोलेबिरा के बेसराजारा में माॅब लिंचिंग की घटना हुई थी। जहां संजू प्रधान नामक व्यक्ति को पुरा गांव मिल कर जला कर मार दिया था। उसके बाद लकडी तस्करी काफी चर्चा में आई थी और इस मुद्दे को लेकर जमकर राजनीति भी हुई थी। लेकिन बात आई और गई हो गई। फिर से वही जंगल फिर से वहीं तस्कर और अवैध रूप से बदस्तूर बेखौफ तरीके से जारी जंगल कटाई। वन विभाग अक्सर छापामारी कर तस्करी की लकडी जब्त करती है। लेकिन आज तक कोई भी तस्कर वन विभाग के हत्थे नहीं चढें हैं। ये भी सोंचने वाली बात है।
