सिमडेगा की मछली बिहार बंगाल छत्तीसगढ़ में मांग मछली पालन से आत्मनिर्भर बन रहे हैं किसान

सिमडेगा: सिमडेगा जिला उपायुक्त के मार्गदर्शन में जिले में लगातार कई योजना शुरु है इसी के तहत मछली पालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है ।सिमडेगा जिला में मछली पालन की अपार संभावनाओं को देखते हुए यहाँ के लरबा जलाशय, कैलाघाघ जलाशय एवं रामरेखा जलाशय में गहन पिंजरा एक्वाकल्चर के अन्तर्गत जन कल्याणकारी योजनाएँ चलाई जा रही है। जिला मत्स्य पदाधिकारी कुसुम लता ने बताया कि इस योजना के अन्तर्गत लरबा जलाशय में लरबा मत्स्य जीवी सहयोग समिति, केलाघाघ जलाशय में छिन्दा मत्स्य जीवी सहयोग समिति एवं रामरेखा जलाशय के उत्तीयेल मत्स्य जीवी सहयोग का गठन कर लगभग 300 ग्रामीण परिवारों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के साधन उपलब्ध कराये गए हैं । वित्तीय वर्ष 2021-22 में सिमडेगा जिले में केज कल्चर के माध्यम से गहन एक्वाकल्चर अभ्यास योजनान्तर्गत मत्स्य जीवी सहयोग समिति के सदस्यों को शत-प्रतिशत् अनुदान पर केज, केज हाऊस, पगांस मछली का बीज एवं मत्स्य आहार उपलब्ध कराया गया। लरबा, कैलाघाघ एवं रामरेखा जलाशय के मत्स्य जीवी सहयोग समिति के सदस्यों के द्वारा केज में उत्पादित पगांस मछली स्थानीय बाजारों, पड़ोसी राज्य बिहार के सासाराम जिला, छत्तीसगढ़ के जशपूर जिले में ताजी जिन्दा पगांस मछली भेजी जा रही है। सिमडेगा जिले के जलाशयों में पेन कल्चर एवं केज कल्चर कर यहाँ के आर्थिक रूप से कमजोर एवं जलाशय के विस्थापितों परिवारों को स्थानीय स्तर पर रोजगार एवं आजीविका का साधन उपलब्ध कराने हेतु बहुत ही सराहनीय प्रयास है । जलाशय के विस्थापित ग्रामीणों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने, रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के साथ सिमडेगा के ग्रामीण क्षेत्र में कुपोषण से लड़ने हेतु भोजन में प्रोटीन युक्त पौष्टिक आहार सम्मिलित करने के दृष्टिकोण से केज कल्चर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण योजना है ।

उन्होंने कुसुम बताया कि एससीएसपी एवं एसटीसी टीएसपी योजना के अन्तर्गत केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान के मदद से सिमडेगा जिला के लरबा केलाघाघ, कोबांग एवं रामरेखा जलाशयों में पेन कल्चर अधिष्ठापन कर एसटी एवं एससी समुदाय के लोगों को शत-प्रतिशत अनुदान पर इंडियन मेजर कार्प, कतला रोहू, मृगल मछली की बीज एवं मछली आहार उपलब्ध कराया गया । लरबा केलाघाघ, रामरेखा एवं कोबांग जलाशयों के मत्स्य जीवी सहयोग समितियों को जलाशय में मछली पालन हेतु सुविधा प्रदान करने के दृष्टिकोण से केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान बैरकपुर, कोलकात्ता की मदद से पुर्णत अनुदानित दर पर एफआरपी मोटरचालित नाव प्रदान किया गया है। लाभुक समिति के द्वारा मोटरचालित नाव प्राप्त कर काफी खुशी का इजहार किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत आर्थिक रूप से कमजोर जलाशय के विस्थापित ग्रामीणों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने, स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के साथ भोजन में पौष्टिक आहार के रूप में मछली के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।

वही सिमडेगा जिला में जिला मत्स्य कार्यालय द्वारा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए महत्त्वकांक्षी योजना प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना संचालित की जा रही है । प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना में एसटी एससी महिला लाभुकों को 60% एवं अन्य को 40% अनुदान देकर यहाँ के ग्रामीणों को मछली पालन के वैज्ञानिक पद्धति बॉयोपलॉक टैंक, बॉयोफ्लॉक तालाब, रीसर्क्युलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, केज अधिष्ठापन योजना का लाभ प्रदान करते हुए ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन उपलब्ध कराकर स्वावलम्बी बनाया जा रहा है।

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