कुरडेग:–कुरडेग प्रखंड के झरैन राजस्व ग्राम में धूमधाम से सरहुल मनाया गया। इस अवसर पर झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन जनसंगठन के अनूप लकड़ा एवं खुशीराम कुमार को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।इस अवसर पर अनूप लकड़ा ने कहा कि सरहुल प्रकृति की महापर्व है, इस महापर्व में आदिवासी समुदाय पहले ही जान लेते हैं कि इस वर्ष बारिश कैसे होगी।आदिवासी समुदाय सरहुल कई दिनों तक मानते हैं। जिसमें पारंपरिक नृत्य सरहुल नृत्य किया जाता है।सरहुल चैत्य महीना के शुक्लपक्ष में मनाया जाता है। मौके पर खुशीराम कुमार ने कहा कि सरहुल सिर्फ अच्छी फसल के लिए नहीं बल्कि मौसम की भविष्यवाणी के लिए भी जाना जाता है।आदिवासियों के नए साल की शुरूआत भी इसी पर्व के बाद होती है.जो पतझर के बाद ही नए पत्ते लगते है। सरहुल त्योहार धरती माता को समर्पित है – इस त्योहार के दौरान प्रकृति की पूजा की जाती है।सरना वह पवित्र कुंज है, जिसमें कुछ शालवृक्ष होते हैं। इस अवसर पर ग्राम सभा अध्यक्ष वेंसेलास लकड़ा, गंगाधर मांझी, फादर क्लेमेंट (पल्ली पुरोहित),पहान देवसिंह मांझी,पहान पितुराम मांझी, बिशेस्वर मांझी,मारियानुस कुजुर,फ्रिस्का लकड़ा, एथेलरीदा मिंज, मेरी रोज़ मिंज, जगदीश नायक, गुड्डू नायक,पौलुस बेक, शांता तिर्की, बालकिशोर मांझी, सुधीर मांझी, मानती टोप्पो, संतोष मांझी,समीर मिंज, फ़िल्मोंन किंडो, दिलीप मांझी, परमेश्वर मांझी, रुषतम मांझी रविन्द्र नायक सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित थे।
