प्रकृति और इंसान के बीच प्रेम व लगाव का प्रतिक है सरहुल: जोसिमा खाखा

सिमडेगा:पालकोट के केउंदटोली में सरहुल उत्‍सव का आयोजन हुआ। मौके पर मुख्‍य रुप से पाकरटांड़ जिला परिषद सदस्य जोसिमा खाखा उपस्थित थी। उन्होंने कहा कि सरहुल प्रकृति उपासना का पर्व है। यह झारखंड की संस्‍कृति को दर्शाता है। यह पर्व प्रकृति का संरक्षण और इंसानों के साथ उसके प्रेम और लगाव का प्रतिक है। उन्‍होंने कहा कि सरहुल पूजा करने से घर, परिवार और समाज में सुख, शांति तथा समृद्धि आती है। यह त्‍योहार हमें प्राकृति के साथ जोड़ने का काम करता है। हमारा आदिवासी समाज के लोग सरहुल पर्व मनाकर प्रकृति के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं। प्रकृति भी समाज पर अपनी कृपा बरसाती है। इस दिन पेड़ पौधे और जल स्रोतों की भी पूजा की जाती है। उन्‍होंने कहा कि आदिवसी समाज के कारण ही आज राज्‍य हरा भरा है। प्रकृति पर्व सरहुल से हमें सीखना चाहिए कि हम प्रकृति का दोहन न करें। सरहुल पूरी तरह प्रकृति की आराधना का त्योहार है।

सरहुल दुनियाभर में लोगों को प्रकृति से मिलने वाले लाभों को याद दिलाता है। उन्‍होंने कहा कि प्रकृति हम पर निर्भर नहीं है, बल्कि हमारा अस्तित्‍व प्रकृति पर निर्भर है। यही हम इसकी सुरक्षा के प्रति सचेत रहेंगे, तो यह भी हमारे जीवन को खुशहाल बनाने में मदद करेगी। मौके पर प्रमुख सोनी लकड़ा, कांग्रेस सिमडेगा जिला अध्यक्ष डेविड तिर्की, जोनसन मिंज, रणधीर रंजन, अजीत लकड़ा, प्रदीप केसरी, शिशिर मिंज, प्रदीप सोरेंग, मुखिया पूनम एक्का, सुरसेना बाड़ा, प्रतिमा, भुनेश्‍वर सिंह, रामकिशुन,लीला, मंजू, एतवा उरांव, श्या‍म उरांव, मिटू उरांव, चंदन उरांव, अमरुस उरांव, 20 सूत्री अध्यक्ष बिनय, रोहित, थाना प्रभारी अनील लिंडा, एएसआई संदीप राम, मुखिया नगेश्वर, निमरोध एक्का उपस्थित थे। मौके पर सरहुल नाच प्रतियोगिता का भी आयोजन हुआ। जहां पालकोट के सभी पंचायत के ग्रामीण उपस्थित थे।

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