पानी नही तो वोट नही,पानी की वजह से नही हो रहा शादी

विकास साहू
सिमडेगा:लोकसभा चुनाव 2024 का बिंगुल चुका है और 13 मई को सिमडेगा जिले में मतदान होना है ऐसे में सभी पार्टियों अपने विकास के दावे कर रही है ।तो वहीं दूसरी ओर क्षेत्र में विकास के दावे पूरी तरह से जीरो दिखाई देती है भले केंद्र एवं राज्य सरकार हर घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने का दावा करती है लेकिन कई क्षेत्रों में आज भी पीने की पानी की समस्या का दंश झेल रहे है। भीषण गर्मी चिलचिलाती धूप में जहां एक और लोग प्यास की तरफ से तड़प रहे तो वह दूसरी और पानी को लेकर लोग परेशान है। मामला पाकरटांड प्रखंड के कैरबेड़ा पंचायत अंतर्गत धानघरा गांव की है जहां पर आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। चारों ओर जंगल एवं पहाड़ों से घिरा हुआ इस गांव में करीब 20 से 25 परिवार रहते हैं लेकिन इन्हें देखने वाला कोई नहीं है। गांव का मुख्य सड़क पगडंडी है जिसके सहारे लोग आवागमन करते हैं। गांव का मुख्य मुद्दा पीने की पानी की है जिसको लेकर गांव में कई बार लड़ाई झगड़ा और कई बार आपसी मन मुटाव होती है। गांव में पीने की पानी को लेकर ग्रामीण रात 2:00 बजे से ही संघर्ष करते हैं तब जाकर उन्हें पीने की पानी मिलती है। मामले की जानकारी मिलने पर राष्ट्रीय नवीन मेल ग्राउंड जीरो पर रिपोर्टिंग करने के लिए पहुंची जहां पर सत्य पाया।
क्या है मामला
बताया गया कि गांव चारों ओर जंगल पहाड़ों से घिरा हुआ है जहां पर करीब डेढ़ वर्ष पूर्व एक जल मीनार लगाया गया है लेकिन आज तक उसे शुरू नहीं किया गया है इसके अलावा गांव में दो चापानला था जिसमें एक खराब है और 1 से पानी नहीं के बराबर निकलती है। ऐसे में ग्रामीण गांव के ही एक खेत में बने कुआं पर निर्भर हैं जिसका गंदा पानी पीने के लिए रोज रात को करीब 2:00 से ही लोगों को मेहनत करना पड़ता है। गांव की ओर उर्सला बिलुंग,सावित्री देवी,शंकर महतो , शहीद गांव के करीब 20 से 25 महिलाओं ने सामूहिक रूप से बताया कि पानी लाने के लिए गांव के लोग पहले सुबह पहुंच जाते हैं और जिस कुआं से पानी लाते हैं वहां पर भी भीषण गर्मी की वजह से पानी ज्यादा नहीं रहता है ऐसे में गांव वाले सभी लोग बराबर हिस्से में पानी का बंटवारा करते हैं ताकि सबका घर का चूल्हा चौकी जल सके। गांव के लोगों से बात करने पर उन्होंने बताया कि कई बार इसकी शिकायत की गई लेकिन आज तक कोई सुनने वाला नहीं है गांव में सड़क नहीं है लेकिन गांव के लोग इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया लेकिन पीने की पानी को लेकर समस्या को राष्ट्रीय नवीन मेल के समक्ष रखा। मौके पर गांव के युवक ने बताया कि सरकार द्वारा आवास तो मिला है लेकिन पानी की वजह से आवास बनाने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है गांव से करीब 1 किलोमीटर दूर पानी लाने जाना पड़ता है जिसके बाद आवास का काम होता है ऐसे में आवास मिलना नहीं मिलना बराबर है।
पानी नहीं तो वोट नहीं का लिया संकल्प

गांव की महिलाओं ने बताया कि प्रत्येक बार होने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को वोट देते हैं लेकिन आज तक इस गांव में प्रत्याशी कभी नहीं आया है और ना ही लोग इस गांव में पहुंचते हैं और ना इस गांव के शुध लेते हैं ।ग्रामीणों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इस बार किसी भी प्रत्याशी को हम चुनाव में वोट नहीं करेंगे, क्योंकि प्रत्याशी जीत तो जाते हैं लेकिन गांव की समस्या को कोई नहीं देखता है ऐसे में हम इस बार वोट बहिष्कार करेंगे। जहां एक और जिला प्रशासन 80% चुनाव को लेकर प्रयास करें तो वहीं दूसरी ओर गांव के द्वारा इस प्रकार का विरोध कहीं ना कहीं प्रशासन के इस मनसूबे को पानी फेर सकता है।
पानी की वजह से गांव के बेटों की नहीं हो रही है शादियां
गांव की महिला ने बताया कि गांव में बेटों की शादी करने के लिए कई बार रिश्ते आते हैं, लेकिन गांव में जब पानी की समस्या सुनते हैं तो वे लोग रिश्ता करने से मना कर देते हैं। सभी लोगों का कहना है कि गांव में पीने के पानी की समस्या है ऐसे में गांव में बेटी को देने से उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इधर इस मामले में पेयजल और स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार ने कहा है की प्राथमिकता के आधार पर गांव में खराब पड़े चापानला को बनवा दिया जाएगा ताकि लोगों को पीने की पानी की समस्या उत्पन्न न हो।