सिमडेगा प्रिन्स चौक में भव्य तरीके से सम्पन्न हुई भगवान चित्रगुप्त की पूजा

सिमडेगा : प्रिंस चौक स्थित दुर्गा पूजा पंडाल में गुरुवार को भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित कर श्रद्धा पूर्वक पूजा की गयी। इस दौरान आचार्य की भूमिका पंडित श्यामसुंदर मिश्र ने निभायी पूजा व आरती के पश्चात् प्रसाद का वितरण किया गया। अखिल भारतीय चित्रगुप्त महापरिवार सिमडेगा महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

कर्मो का लेखा-जोखा करते हैं चित्रगुप्त

हिन्दू धर्म में भगवान चित्रगुप्त का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान चित्रगुप्त को ब्रह्मा का संतान माना गया है। ब्रह्माजी ने अपने काया अर्थात् शरीर से चित्रगुप्त का निर्माण किया था। यही कारण है कि भगवान चित्रगुप्त को कायस्थ भी कहा जाता है। हिन्दू धर्मावलंबी पुर्नजन्म में विश्वास रखते हैं, वहीं उनकी मान्यता यह भी है कि इंसान अपने भले-बुरे कर्मो के आधार पर ही स्वर्ग अथवा नरक की प्राप्ति करता है या फिर पुन: मृत्युलोक में जन्म लेता है। लोगों का मानना है कि मनुष्य जीवन के गतिविधियों पर भगवान चित्रगुप्त नजर रखते हैं और अंत में मृत्यु के पश्चात् वे जन्म से लेकर मृत्यु तक के मनुष्यों के कर्मो के आधार पर उसे पुरस्कार या दंड दिलाते हैं। विदित हो कि यम द्वितीया अर्थात् कार्तिक मास के द्वितीय तिथि को विशेष कर कायस्थ परिवार द्वारा भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। इस दौरान दावात, कलम, कॉपी की भी पूजा की जाती है। वैसे चित्रगुप्त पूजा दक्षिण भारत में भी काफी प्रचलित है। जहां कई मंदिर भी बनाये गये हैं। उनमें से तमिलनाडु का कांचीपुरम का चित्रगुप्त मंदिर अधिक प्रसिद्ध है।

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