आयुष कार्यालय सिमडेगा में मनाया गया यूनानी दिवस याद किए गए हकीम अजमल खान

सिमडेगा:- सिमडेगा सदर अस्पताल स्थित आयुष कार्यालय में यूनानी दिवस के मौके पर शनिवार को हकीम अजमल खान की जयंती मनाई गई इस मौके पर जिला आयुष पदाधिकारी शिवदयाल के द्वारा हकीम अजमल खान की तस्वीर पर माल्यार्पण करते हुए दीप प्रज्वलित कर श्रद्धा सुमन अर्पित की एवं नमन किया इस मौके पर कार्यालय कर्मियों ने भी बारी-बारी से श्रद्धांजलि दी इसके अलावा एएनएम स्कूल सिमडेगा की प्राचार्य एवं छात्राएं शामिल हुई। मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए जिला आयुष पदाधिकारी ने कहा कि प्रत्येक वर्ष 11 फरवरी को आयुष मंत्रालय की ओर से यूनानी दिवस मनाया जाता है और इस दिन को मनाने का एकमात्र उद्देश्य है कि भारत के सबसे बड़े यूनानी विद्वान हकीम अजमल खान की जयंती को याद करना ।भारतीय चिकित्सा पद्धति में हकीम अजमल खान की बहुत बड़ी भूमिका रही है जिन्होंने यूनानी चिकित्सा के माध्यम से इस देश में स्वास्थ्य सुविधा को सुदृढ़ करने का कार्य किया।यह एक किस्म की पर्शियन-अरबी पारंपरिक औषधि प्रणाली है।

इसका उपयोग मुगलकालीन भारत में किया गया, इसके अतिरिक्त दक्षिण एशियाई तथा मध्य एशिया में भी यूनानी चिकित्सा पद्धति का उपयोग किया जाता है। इस चिकित्सा पद्धति का आरंभ यूनान में हुआ था। हिप्पोक्रेट्स को इस चिकित्सा पद्धति का जनक माना जाता है। भारत में इस चिकित्सा पद्धति की शुरुआत 13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत की स्थापना के साथ हुई थी। वही यूनानी चिकित्सा के जनक कहे जाने वाले हकीम अजमल खान, जो नई दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्थापकों में से एक थे, इसके साथ ही वह एक प्रसिद्ध भारतीय यूनानी चिकित्सक थे। वह एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी, एक महान विद्वान, एक समाज सुधारक, एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, एक यूनानी चिकित्सा शिक्षाविद् और यूनानी चिकित्सा पद्धति में वैज्ञानिक अनुसंधान के संस्थापक थे।

आज पूरे देश में आयुष के पद्धतियों को लोग अपना रहे हैं और इसके उपचार से रोगी ठीक हो रहे हैं देश में आज सभी जगहों पर इसके चीजों को बारीकी से शोध करते हुए इसके बारे में लोगों को जानकारी दी जा रही ताकि आने वाले दिनों में आयुर्वेद के माध्यम से बीमारियों को जड़ से समाप्त किया जा सके। मौके पर आयुष डॉक्टर शमशाद अहमद सहित कार्यालय कर्मी एवं छात्राएं उपस्थित रहे।

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