सिमडेगा: शहीद वीर बुधू भगत के शहीद दिवस पर सोमवार को नगर परिषद की ओर से उन्हें याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किया। मौके पर नप अध्यक्ष पुष्पा कुल्लू, वार्ड पार्षद शिला टोप्पो,नगर प्रबंधक प्रफुल्ल बोदरा सहित अन्य ने कचहरी परिसर के समीप शहीद बुधू भगत की प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाते हुए उन्हें नमन किस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि झारखंड के छोटानागपुर को विदेशी दमन से मुक्त कराने के लिए जनजातियो के साथ मिलकर वीर बुधू भगत ने आंदोलन का बिगूल फुंका था। जिसे लरका विद्रोह के नाम से जाना जाता है। वीर बुधू का जन्म 17 फरवरी 1792 को चाहो प्रखंड के सिलागाई गांव में हुआ था। उरांव जनजाति से संबंध रखने वाले वीर बुधू भगत बचपन से ही अन्याय को दार्श नहीं करते थे। वीर बुधू भगत ने जमीन और जंगल की रक्षा के लिए आदिवासियो के साथ मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ मोर्चा खोला था। गुरिल्ला युद्ध में कई बार इन्होने अंग्रेजी सेना को प्रास्त भी किया था। वीर बुधू भगत के आंदोलन से अंग्रेज तिलमिला गए थे। 13 फरवरी 1832 को अंग्रेजी सेना ने सिलागाई गांव में धावा बोल दिया। अंग्रेजो के अंधाधून गोलियो का मुकाबला वीर बुधू भगत की सेना पारम्पारिक हथियार से कर रही थी। उक्त लडाई में वीर बुधू भगत के दो बेटे हलधर और गिरधर सहित सैक आदिवासी लोग शहीद हो गए। अंत में अंग्रेजो के खिलाफ हुए को व्रिदोह के नायक वीर बुधू भगत ने वीर गति को प्राप्त किया। वीर बुधू भगत के वीरता, शौर्य और अदम्य साहस को झारखंड कभी भुल नहीं सकता है।
