गंदा है पर धंधा है ये, सूट आउट लोखंडवाला फिल्म का यह गाना जलडेगा स्वास्थ्य केंद्र के कर्मियों पर फिट बैठता है। दो सौ से हजार रुपये में यहां के कर्मी किसी का भी जन्म प्रमाण पत्र आसानी से बना देते है। सवाल जबाब की बारी आती है तो खुद को पाक साफ बताने लगते हैं। कई बार देखा गया है कि पैसे के लालच में कर्मी सभी कागजात की जांच ठीक से नहीं करते हैं। जो पैसा नहीं देते हैं, उनके काम को महीनों लटकाया जाता है। जलडेगा प्रखंड में पैसा लेकर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने का मामला सामने आया है। मामले का खुलासा तब हुआ जब पतिअम्बा पंचायत के खरवागाढ़ा गट्टीगाढ़ा गांव निवासी हेलेना होब्बो, पति ओस्कर होबो और कोनमेरला पंचायत के बलडेगा गांव निवासी भगवती देवी पति राजेश सिंह का आवेदन फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के कारण अस्वीकृत कर दिया। जानकारी के मुताबिक दोनों महिला श्रम विभाग में निबंधित मजदूर हैं, विभाग द्वारा संचालित निबंधित मातृत्व प्रसूति प्रसुविधा योजना के तहत निबंधित महिला मजदूरों के प्रथम और द्वितीय संतान जन्म होने पर उन्हें 15,000 रुपए का लाभ दिया जाता है। परंतु ये दोनो महिला मजदूर इस लाभ से वंचित हो गए क्यूंकि जलडेगा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से इन्हे फर्जी जन्म प्रमाण पत्र दिया गया है।

सर्टिफिकेट बनाने के लिए एएनएम ने मांगे थे 200 रुपए
खरवागाढ़ा गट्टीगाढ़ा गांव निवासी हेलेना होब्बो ने बताई की खरवागाढ़ा एएनएम शोभा एक्का ने जन्म प्रमाण पत्र बनाने के एवज में उससे 200 रुपए की मांग की थी, यही नहीं पैसा देने के बाद भी पीड़िता को जन्म प्रमाण पत्र के लिए कभी सिमडेगा तो कभी जलडेगा का चक्कर लगाना पड़ा, जिसके कारण उसका करीब पांच हजार रुपए खर्च हो गए। फिर भी एएनएम शोभा एक्का ने उसे फर्जी जन्म प्रमाण पत्र थमा दी। वहीं कोलोमडेगा की एएनएम शांता एक्का के द्वारा भी बलडेगा निवासी भगवती देवी को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र दिया गया है।
जन्म प्रमाण पत्र का बार कोड नहीं हो रहा है स्कैन

बारकोड की खास बात ये है कि हर एक प्रोडक्ट या प्रमाण पत्र का अपना यूनिक बार कोड होता है, जो कि किसी भी दूसरे बारकोड से मैच नहीं करता है। बारकोड एक अंतरराष्ट्रीय संस्था की ओर से दिया जाता है और इसे ऑनलाइन जनरेट किया जा सकता है। बारकोड दो तरह के होते हैं। एक तो साधारण बारकोड, जिसे 1डी बारकोड कहा जाता है, जिसमें समानांतर कई लाइनें होती हैं। जबकि, दूसरा बारकोड एक डिब्बा होता है, जिसे क्यूआर कोड कहा जाता है। क्यूआर कोड की खास बात ये है कि इसमें ज्यादा डेटा आता है और ये स्कैन करने में ज्यादा फ्रेंडली होता है। ठीक इसी प्रकार जन्म प्रमाण पत्र में भी बार कोड लगा हुआ है लेकिन फर्जी बार कोड होने के कारण वो स्कैन भी नहीं हो रहा है, स्कैन करने पर मोबाइल सफेद हो जाता है और आगे कुछ भी नहीं दिखाई पड़ता है।