सिमडेगा:- झारखंड के जलाशयों में स्कैंपी मत्स्य पालन वृद्धि के माध्यम से आदिवासी समुदायों की आजीविका में सुधार पर एक प्रमुख परियोजना से आज केलाघाघ जलाशय में 4.0 लाख स्कैंपी बीजों के भंडारण के साथ शुरू की गई है। इस 162 हेक्टेयर जलाशय में चार मत्स्य पालन सहकारी समितियां (एफसीएस) कार्यरत हैं, जिनके सदस्य और सचिव स्कैंपी संचयन के समय उपस्थित होकर स्कॉलर अजय कुमार के द्वारा निर्देश के अनुसार संचयन किया। स्टॉकिंग कार्यक्रम का उद्घाटन कुसुमलता, जिला मत्स्य पदाधिकारी, सिमडेगा, के द्वारा जलाशय में स्कम्पी बीज छोड़ा गया, जिसमें आईसीएआर-सीआईएफआरआई के प्रधान वैज्ञानिक और परियोजना प्रधान अन्वेषक डॉ. ए.के. दास की उपस्थिति थी। संस्थान के निदेशक डॉ. बी.के. दास के कुशल नेतृत्व में कार्यान्वयन संगठन हुआ। मछली पैकेटों की संख्या से मछली के बीजों का बेतरतीब ढंग से नमूना लिया गया है और एफसीएस सदस्यों द्वारा गिना गया है ताकि इस जलाशय में लाए गए जीवित स्कैंपी बीजों की सटीक संख्या पता चल सके। चार मत्स्य जीवी सहयोग समिति को झींगा का चारा और खनिज पोषक तत्व भी वितरित किए गए हैं, जिससे वे बीजों की अच्छी वृद्धि और उत्तरजीविता सुनिश्चित करने के लिए स्टॉक किए गए बीजों को ठीक से खिला सकें। श्रीमती कुसुमलता, जिला मत्स्य पदाधिकारी, सिमडेगा ने इस जलाशय में स्कम्पी को स्टॉक करने की पूरी प्रक्रियाओं पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की है, जिससे आने वाले दिनों में इस पारिस्थितिकी तंत्र के मछुआरों को आर्थिक और पोषण दोनों रूप से लाभ होगा। यह परियोजना भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है जो क्रमशः गुमला, सिमडेगा और हज़ारीबाग़ जिले के तीन जलाशयों में कार्यरत है।
