कोलेबिरा : जिले में पुलिस द्वारा मानव तस्करी को रोक लगाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रहे हैं इसी के तहत गुरुवार को विभिन्न विद्यालयों में कोलेबिरा पुलिस द्वारा स्कूली बच्चों को मानव तस्करी के प्रति कार्यशाला आयोजित किया जहां कस्तूरबा गांधी विद्यालय कोलेबिरा में थाना प्रभारी रामेश्वर भगत, एसएस उच्च विद्यालय में सब इंस्पेक्टर संतोष ठाकुर और संत जेवियर उच्च विद्यालय बरवाडीह में सब इंस्पेक्टर रंजीत महतो में विद्यालयों में जाकर मानव तस्करी एवं बाल श्रम के विषय पर स्कूल के छात्र छात्राओं को जागरूकता हेतु अभियान चलाया गया। छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए थाना प्रभारी रामेश्वर भगत ने कहा कि मानव तस्करी एक गंभीर समस्या है जिसके लिए प्रत्येक वर्ष 30 जुलाई को मानव तस्करी दिवस मनाया जाता है। मानव तस्करी अर्थात मानव का अवैध व्यापार यह एक बहुत बड़ी समस्या है तथा मानव तस्करी होना अब आम बात हो गई है। मानव तस्करी के पीछे का सबसे बड़ा कारण गरीबी है। मानव तस्करी अर्थात मानव का अवैध व्यापार यह भारत की प्रमुख समस्याओं में से एक है। भारत में मानव तस्करी होना अब एक आम बात हो गई है। इस समस्या की रोकथाम हेतु सरकार के द्वारा समय-समय पर कड़े कदम उठाए जा रहें हैं। झारखंड राज्य के लिए मानव तस्करी एक विकट समस्या है।

सक्रिय दलाल गांव के भोले भाले लोगों को और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। अच्छी जिंदगी और पैसे का प्रलोभन देकर दूसरे राज्यों में ले जाकर उन्हें बेच दिया जाता है। हालांकि दलालों के चंगुल में युवतियों को भेजने में उनके माता-पिता का भी अहम भूमिका होता है कई बार ऐसा देखा जाता है कि यह अपने माता पिता और अपने रिश्तेदारों के सहमति से ही दलालों के चंगुल में आ जाती है।उन्होंने मानव तस्करी के कुछ मुख्य कारण के बारे में भी बताया जिसमें गरीबी और अशिक्षा, बंधुआ मजदूरी, देह व्यापार, सामाजिक असमानता, क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन, बेहतर जीवन की लालसा, महानगरों में घरेलू कामों के लिए लड़कियों की तस्करी, चाइल्ड पॉर्नोग्राफी के लिए बच्चों की तस्करी आदि हैं।थाना प्रभारी रामेश्वर भगत ने छात्र छात्राओं को भारत में अवैध व्यापार से संबंधित संवैधानिक और विधायी प्रावधान के बारे में भी बताया जिसमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 23 के अंतर्गत मानव या व्यक्तियों का अवैध व्यापार प्रतिबंधित है। अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1956 वाणिज्यिक यौन शोषण के लिए अवैध व्यापार की रोकथाम का प्रमुख विधान है। अपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2013 में लागू हो गया है। जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 370 को 370 और 370 ‘क’ आईपीसी से प्रतिस्थापित किया गया है। जिसमें मानव तस्करी के रोकथाम के लिए व्यापक प्रावधान किए गए हैं।