जलडेगा:कोरोना वायरस लॉकडाउन की त्रासदी में पिसकर अपने घर पहुंचे मजदूरों के लिए हम जिस मनरेगा योजना की बदौलत गांवों में रोजगार मिलने का ख्वाब पाले बैठे हैं दरअसल, वो उनके ज्यादा काम नहीं आ रही है। मनरेगा में रोजगार देने के नियमों में इतने पेंच हैं कि लोगों को जल्दी काम ही नहीं मिलता है। मामला जलडेगा प्रखंड के टाटी पंचायत अंतर्गत तितलिंग गांव का है, चारो ओर जंगलों से घिरा इस गांव में एक भी पक्की सड़क नही है। काम की तलाश में ग्रामीणों ने तितलिंग स्कूल से ईचापीढ़ी तक मोरम रोड निर्माण शुरू करने के लिए कई बार पंचायत से लेकर प्रखंड कार्यालय तक आवेदन दिया लेकिन पूरे दो वर्ष बीतने के बाद भी अब तक न तो उनका मनरेगा से सड़क बना और न ही मजदूरों को काम मिला। यही नहीं सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में भी ग्रामीणों ने काम मांगा, मनरेगा से योजना स्वीकृत करने का आवेदन दिया लेकिन सभी आवेदन कूड़े के समान कहीं फेंक दिया गया। यही कारण है कि मनरेगा में 100 दिन रोजगार की गारंटी देने वाली कानून भी यहां कोई काम नही आ रहा है। ग्रामीण जोसेफ हंसा, गोस्नर होरो, इलियाजार होरो, किरण होरो, सुबास बरला, सैमुअल भेंगरा, मर्सलन हेरेंज, जयंत गुड़िया, मर्सलान तोपनो, अभिषेक तो सहित कई अन्य ने बताया कि मजदूरों के जॉब कार्ड सालों भर बिना काम किए पार हो जा रहा है। नाम मात्र का जॉब कार्ड बना है सिर्फ बक्सा के अंदर रखा हुआ है, काम मांगने पर भी न तो किसी को काम मिलता है ना ही योजना। ग्रामीणों का कहना है की रोजगार सेवक और पंचायत के अधिकारी उनके गांव आते ही नही है। लोगों की जरूरत क्या है कोई सुनने वाला भी नही है। ग्रामीणों ने राष्ट्रीय नवीन मेल के माध्यम से जिला प्रशासन से उनके गांव का सड़क को शुरू कराने का मांग किया है जिससे उनको ग्रामीण स्तर पर ही रोजगार मिल सके।
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