सिमडेगा:चालिसा काल आध्यात्मिकता में बढ़ने तथा उपवास करने एवं दान देने का अवसर :विशप

सिमडेगा:ईसाई धर्मावलंबियों का चालिसा काल दो मार्च को राख बुध के साथ शुरु हो गया। मौके पर जिले के गिरजाघरों में सुबह में मिस्‍सा का आयोजन किया गया। संत अन्‍ना महागिरजाघर में कुल तीन मिस्‍सा पूजा हुई। पहली मिस्‍सा बिशप विंसेंट बरवा की अगुवाई में संपन्न हुआ। जिसका सहयोग फा बर्बट कुजूर, फा शैलेस केरकेट्टा, फा फुलजेम्सिया कुल्‍लू, फा अरविंद खाखा, फा सुनील सुरीन, फा जेवियर, फा युजीन ने किया।वहीं, दूसरी मिस्‍सा विजी सह पल्‍ली पुरोहित फा इग्‍नासियुस टेटे की अगुवाई में संप्‍पन हुआ। जिसका सहयोग फा पीयुष और फा एफ्रेम बा: ने किया। वहीं तीसरी मिस्‍सा फा एडमोन बा: की अगुवाई में संपन्‍न हुआ। मौके पर अपने संदेश में विशप विंसेंट बरवा न कहा कि चालिसा काल आध्यात्मिकता में बढ़ने तथा उपवास करने एवं दान देने का अवसर है। उन्होंने कहा कि चालीसा काल में येसु हमें उस परिस्थिति की चेतावनी देते हैं जिसमें शिष्यों के समुदाय में झूठे नबी होंगे। जो उन्हें भटकने एवं सुसमाचार के मूल, प्रेम के सदगुण में ठंढ़ा पड़ने हेतु प्रेरित करेंगे। संत पापा के संदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सहानुभूति एवं दया की भावना तथा प्रेम के फलों को कभी ठंढ़ा नहीं पड़ना चाहिए।चालीसा काल में विशेषकर, ख्रीस्तयाग और ईश वचन के पाठ, हमारे लिए आध्यात्मिक नवीनीकरण के माध्यम हैं। वहीं फा इग्‍नासियुस ने उपवास एवं परहेज के लिए प्रोत्साहन देते हुए कहा कि हमें प्रभु के प्रति उदार बनने की आवश्यकता है। पुण्य शुक्रवार को प्रभु के दुःखभोग की याद करते हुए न केवल चालीसा काल में किन्तु साल भर के हर शुक्रवार को मांस से परहेज रखें।

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