गुमला जिला के कामडारा प्रखंड के गरई सरना टोली गाँव में डेढ़ एकड़ में लहलहा रही है ड्रैगन फ्रुट की खेती ।यह गुमला जिला की पहली खेती है ! कड़ी मेहनत और लग्न के साथ यू टूब देखकर इसे पहली बार में किसान अमृत केरकेट्टा ने सफलता प्राप्त की है। ये जिला ही नहीं राज्य स्तर के लिये किसानों के लिये प्रेरणास्रोत बन चुके हैं। ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिये किसान अमृत ने बिना किसी सहायता के अपने बल बूते पर आठ लाख रूप्ये खेती में खर्च किया है।और जब आज पौधे में फल लहलहा रही तो इनके आँखो में खुशियों की आंसू छलक रही है।खेती से पहला फल 70 किलोग्राम इसी अगस्त माह में तोड़ कर ये राँची में प्रति किलो 320 रूप्ये की दर से बेच चुके हैं। अब ये इसी पौधे के सहारे 20 वर्ष तक ड्रैगन फ्रूट की खेती कर सकते हैं । वर्तमान में 515 पौधे लगे हैं ।और सबों में फूल फल निकल आये हैं ! अमृत ने बताया की एक वर्ष में कमोबेश 5 से 6 बार फल तोड़ेगे ।
कैसी की है खेती
यूटूब चैनल पर ये ड्रैगन फ्रूट की खेती देख वर्ष 2020 में तेलंगाना राज्य से संपर्क किया ! वहाँ 75 फीसदी राशि 1 लाख 40 हजार रूप्ये एडवांस भेज कर नर्सरी में ड्रैगन फ्रूट के पौधे बुक किये। पौधे तैयार हो जाने के बाद 25 प्रतिशत राशि जमा किया ! इसके बाद 23 जुलाई 21 में प्लेन के सहारे 2 हजार 60 पौधे तेलंगाना से राँची एयरपोर्ट भेजी गयी ! वहाँ से ये पौधे अपने गाँव लाये। फिर सीमेंट वाले 515 स्ट्रक्चर पोल रिंग के सहारे ये डेढ़ एकड़ में खेती की शुरूआत की ! 7 फीट लंबाई व 12 फीट चौड़ाई पर एक स्ट्रक्चर पोल रिंग खड़ा किया। एक पोल रिंग पर चार पौधे लगाये गये। और पौधे की देखभाल शुरू की।पौधे में ऑरगेनिक खाद का प्रयोग किया ! कीटनाशक दवा के साथ फंगस बिमारी से बचाव के लिये फंगीसाईड दवा का भी इस्तेमाल करना पड़ा ! सभी पौधे सुरक्षित बच गये और एक वर्ष की मेहनत रंग लायी। और इस माह से ड्रैगन फ्रूट फल देना शुरू कर दिया ! फिलहाल एक फल 300 से लेकर 500 ग्राम तक का है ! आने वाले वर्ष में फल का वजन एक किलोग्राम से अधिक होगा। और ये खेती 20 वर्षो़ तक चलेगी। खेती करने में अमृत को लोहरदगा के एक रिश्तेदार ने भरपूर सहयोग किया है ! और अब ड्रैगन फ्रूट की खेती में खाली जगहों पर ये सब्जी की खेती कर रहे हैं।

किसान अमृत केरकेट्टा का परिचय
कामडारा प्रखंड के गरई सरना टोली गाँव निवासी किसान इमिल केरकेट्टा का पुत्र अमृत केरकेट्टा मैट्रीक पास है ! गरीबी व आर्थिक तंगी से जूझ रहे अमृत ने बाहर प्रदेशों में जाकर काम किया। इसके बाद इसके मन में नये करने की इच्छा जागृत हुई और यू टूब देख कर ये ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की ठानी।ये अपने खेत की मिट्टी जाँच के लिये तेलंगाना भेजी। जाँच के बाद मिट्टी ड्रैगन फ्रूट के लिये सही निकली ! फिर ये नर्सरी में पौधे तैयार कर मंगवाये और खेती शुरू किये। अमृत की पत्नी रेशमा केरकेट्टा , और दो बेटी सिमरन 7 वर्ष और रोशनी 3 वर्ष है।ये अपने कुँए व बोरिंग के सहारे खेतों में पटवन कर खेती को हरियाली से लहलहा दिये हैं ! खेती में अमृत के अलावे पिता और पत्नी का सहयोग है।फिलहाल ड्रैगन फ्रूट के पौधे में फूल व फल लहलहा रहे हैं। एक सप्ताह बाद और फल पक कर लाल रंग में तैयार हो जायेंगे। ड्रैगन फ्रूट के फल को लेकर खरीददार पहले से ही फोन पर बुकिंग करते हैं।और उसी हिसाब से फलों की बिक्री होती है।ड्रैगन फ्रूट की खेती देखने जिला व प्रखंड से भी प्रशासन स्तर के लोग गाँव पहुँचे थे। और सबों ने प्रशंसा भी किया। लेकीन अमृत को सरकार की ओर से किसी प्रकार की सुविधा नहीं दी गयी है। और न ही केसीसी का लाभ मिला है। यदि सरकार की ओर से किसान अमृत को थोड़ी सहायता प्रदान हो जाती है तो ये और बेहतर तरीके से खेती करने के लिये तत्पर है।