सिमडेगा:आजादी के 78 वर्षों बाद सिमडेगा सदर प्रखंड का दुर्गम चिमटीघाट गांव शनिवार को ऐतिहासिक पल का साक्षी बना, जब जिला उपायुक्त कंचन सिंह और पुलिस अधीक्षक एम. अर्शी पहली बार प्रशासनिक टीम के साथ पैदल ट्रैकिंग करते हुए इस गांव पहुंचे। वर्षों से विकास की बाट जोह रहे ग्रामीणों ने प्रशासन को अपने बीच पाकर नए भविष्य की उम्मीद जागती देखी।केलाघाघ डैम के किनारे ऊंचे पहाड़ों, घने जंगलों और पथरीली घाटियों के बीच बसे इस गांव में करीब 13–15 परिवार रहते हैं। आजादी के बाद से अब तक यहां तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं बन सकी। ग्रामीण आज भी अपने प्रयासों से बनी संकरी पगडंडी और डैम पार नौका के सहारे ही राशन, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए बाहर आते-जाते हैं।

आपात स्थिति में मरीजों को नाव से पार कराना सबसे बड़ा जोखिम है।प्रशासनिक ट्रैकिंग दल केलाघाघ डैम से शुरू होकर पहाड़ी मार्गों से गुजरते हुए चिमटीघाट पहुंचा। टीम में वन प्रमंडल पदाधिकारी शशांक शेखर सिंह, परियोजना निदेशक आईटीडीए सरोज तिर्की, अपर समाहर्ता ज्ञानेन्द्र, सिविल सर्जन सुंदर मोहन समद, अनुमंडल पदाधिकारी प्रभात रंजन ज्ञानी, एलआरडीसी अरुणा कुमारी, जिला आपूर्ति पदाधिकारी नरेश रजक, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी पलटू महतो, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सुरजमुनि कुमारी, सदर बीडीओ समीर रेनियर खालखो, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी रवि किशोर राम, जिला पशुपालन पदाधिकारी किंकर कुमार महतो, जिला शिक्षा पदाधिकारी मिथिलेश केरकेट्टा, शिक्षा अधीक्षक दीपक राम, जिला नियोजन पदाधिकारी आशा मक्सिमा लकड़ा, मत्स्य पदाधिकारी सीमा टोप्पो, कृषि पदाधिकारी माधुरी टोप्पो, जेएसएलपीएस डीपीएम शांति मार्डी, कार्यपालक अभियंता पेयजल मुकेश कुमार, और विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता मनीष पूर्ति सहित कई वरीय अधिकारी शामिल रहे।गांव पहुंचकर ग्रामीण महिलाओं सहित युवाओं ने बताया कि वर्षों से विकास ठप पड़ा है, और सुलभ रास्ते की सबसे अधिक आवश्यकता है। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि पगडंडी ही उनका एकमात्र सहारा है, जिस पर दोपहिया वाहन भी मुश्किल से पहुंच पाते हैं।उपायुक्त कंचन सिंह ने पूरे क्षेत्र का निरीक्षण कर कहा कि चिमटीघाट प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन की संभावनाओं से भरपूर है। उन्होंने निर्देश दिया कि गांव तक सड़क मार्ग का सर्वे त्वरित रूप से कर प्रस्ताव तैयार किया जाए। साथ ही नए ट्रैकिंग रूट को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में भी काम होगा, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकें।इस दौरान प्रशासनिक टीम ने नाव से बोटिंग कर ग्रामीणों की दैनिक कठिनाइयों को महसूस किया। स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित किया गया।चिमटीघाट में पहली बार प्रशासनिक चहलकदमी से वर्षों से बुझी उम्मीदों में नई रोशनी लौटी है। अब ग्रामीणों को इंतजार है कि यह उम्मीद जल्द ही धरातल पर उतरे और गांव भी विकास की मुख्यधारा से जुड़े।
