डीसी के पहल पर गुमला फीफा वर्ल्ड कप की कप्तान अष्टम उराँव के घर में लगा एलईडी टीवी गांव में खुशी का लहर

झरखण्ड राज्य के गुमला जिला के बिशनपुर प्रखंड के अष्टम उरांव फीफा विश्व कप अंडर-17 की कप्तान अष्टम उरांव को उसके गांव वाले फुटबॉल खेलते हुए नहीं देख पायेंगे. क्योंकि उसके घर में टीवी नहीं है. गांव वालों के पास भी टीवी नहीं है. इससे गांव के लोग निराश हैं. गुमला जिला से 60 किमी दूर बिशुनपुर प्रखंड के बनारी गोर्राटोली की रहने वाली अष्टम उरांव भारतीय महिला टीम की कप्तान बनी है. इसलिए गांव वाले चाहते हैं कि अष्टम उरांव को नेशनल ग्राउंड में खेलते हुए देंखे. यहां बता दें कि गुमला जिले के दो बालिका फुटबॉलरों का चयन फीफा वर्ल्ड कप के लिए हुआ है. जिसमें चैनपुर प्रखंड की सुधा अंकिता तिर्की व बिशुनपुर प्रखंड की अष्टम उरांव है. परंतु, अष्टम उरांव का गांव दूरस्थ इलाका में है. गांव के लोग गरीबी में जी रहे हैं. मौसम के अनुसार खेतीबारी करते हैं. मजदूरी कर जीविका चलाते हैं. गांव वाले रोज कमाते हैं तो खाते हैं. अष्टम का परिवार भी गरीबी में जी रहा है. माता पिता मजदूरी करते हैं. ऐसे में टीवी खरीदने के लिए इन लोगों के पास पैसा नहीं है. इस कारण परिवार के लोग बेटी को खेलते हुए कैसे देखेंगे. इसकी चिंता है।

हालांकि जब मीडिया अष्टम उराँव के घर पहुँचने पर जिला प्रशासन हरकत में आया व जिला प्रशासन ने खेल पदाधिकारी हेमलता बुन व प्रखण्ड विकास पदाधिकारी छंदा भट्टाचार्य अष्टम उराँव के घर पहुँचकर एलसीडी टीवी इंवाईटर लगवाया अब अष्टम के माता तारा देवी पिता हीरालाल उराँव सहित गांव के लोग अपनी बेटी को नेशनल ग्राउंड में फुटबॉल मैच खेलते देख पाएंगे। घर मे टीवी लगने के बाद अष्टम उराँव के पिता हीरालाल उराँव माँ तारा देवी काफी खुश नजर आयी। दोनो ने कहा कि आज मेरी बेटी मैच खेलेगी बहुत खुशी का पल है। हमारे घर में एक टीवी है जो पहले खराब हो गया और टीवी नही रहने के कारण हम चिंता में थे कि बेटी को फुटबॉल खेलते नही देख पाएंगे, आपलोगो के कारण आज जिला प्रशासन टीवी सहित अन्य समान घर में लगाया जा रहा है। वही खेल पदाधिकारी हेमलता बुन ने बताया की आपके के न्यूज़ के माध्यम से जानकरी मिली कि अष्टम उराँव के घर टीवी नही है जिसपर तुरन्त टीवी लगवाया गया।अब पूरे परिवार के लोग टीवी में अपनी बेटी को देश के लिये खेलते देख पायेगें। बिशुनपुर जैसे सुदूरवर्ती जगहों में खेल का कोई सुविधा नहीं होने के बावजूद वह आज अष्टम उराँव भारतीय महिला टीम का कप्तान बन गयी। ये गुमला जिला के लिये बहुत बड़ी उपलब्धि है।

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