सात दशक पूर्व लालच में बने थे ईसाई,आज हुई घर वापसी

समाज के धर्मातरित लोग वापस आएं,स्वागत है:कृष्णा बडाईक

सिमडेगा:-जलडेगा प्रखंड के कोनमेरला गांगुटोली निवासी गोबिंद बड़ाईक पिता स्व मंगरा चीक बड़ाईक सपरिवार सामाजिक रीति रिवाज के साथ ईसाई धर्म को छोड़कर अपना पुराना धर्म सरना में वापसी किया।सरना धर्म में वापस लौटने वालों में गोबिंद बड़ाईक के साथ उनकी धर्मपत्नी बंधन देवी, पुत्री मुस्कान बड़ाईक, पुत्र आकाश बड़ाईक, पुत्री साक्षी बड़ाईक, सिमी बड़ाईक, रागिनी बड़ाईक, एवं आरती बड़ाईक हैं। लगभग 1964-65ईस्वी में गोबिंद बड़ाईक का पिताजी ईसाई धर्म अपना लिया था उसी समय से इनका परिवार ईसाई धर्म मानते आ रहा था। अपने पुराने धर्म सरना में वापसी के लिए इनके द्वारा चीक बड़ाईक समाज के प्रखंड अध्यक्ष माघु बड़ाईक को आवेदन देकर समाज के पदाधिकारियों एवं सदस्यों से निवेदन किया था।इसी के आलोक में रविवार को ग्राम कोनमेरला गांगुटोली में समाज के जिलाध्यक्ष कृष्णा बड़ाईक एवं प्रखंड अध्यक्ष माघु बड़ाईक उपाध्यक्ष जयंती बड़ाईक पंचायत अध्यक्ष नरेंद्र बड़ाईक तथा ग्राम अध्यक्ष राजेश बड़ाईक की उपस्थिति में स्वजातीय कुटुंब बंधुओं के द्वारा सामाजिक विधि विधान एवं रीति-रिवाज के साथ समाज में शामिल किया गया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चीक बडाईक समाज के जिलाध्यक्ष सह जिला परिषद सदस्य कृष्णा बडाईक ने कहा की लोग चंद लालच में आकर धर्म परिवर्तन कर लेते हैं।ईसाई मिशनरियां भोले-भाले गरीबों को पद और पैसों का लालच देकर धर्म परिवर्तन जैसे कुकृत्य को अंजाम देते हैं।उन्होंने कहा की जो समाज अपनी रक्षा नहीं कर सकती ,उसका एकदिन विनाश हो जाता है।समाज के लोग संगठित होकर रहे।नशा का त्याग कर पढें और पढाएं तभी हमारा समाज भी अन्य समाज के जैसा सुशिक्षित होगा।घर वापसी कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्री चतुर बड़ाईक,देवदर्शन बड़ाईक हीराचंद्र बड़ाईक, शिवचरण बड़ाईक , धनेश बड़ाईक ,राम बड़ाईक,बसंत बड़ाईक, मनोहर बड़ाईक,बिजेय बड़ाईक, रामपाल बड़ाईक ,सरस्वती बड़ाईक,आरती देवी, उषा देवी, सीता देवी,अंजनी देवी रूपम बड़ाईक समेत काफी संख्या में समाज के गणमान्य सदस्य एवं महिलाएं उपस्थित थे।

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