शिक्षक के प्रयास और संकल्प ने बदल डाली सरकारी विद्यालय की तस्वीर

आलोक कुमार साहू

जलडेगा:अमूमन सरकारी विद्यालय की बात जेहन में आते ही एक बदहाल स्कूल की तस्वीर उभर कर सामने आती है। दरअसल, जलडेगा प्रखंड मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर अवस्थित राजकीय उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय बनजोगा प्रखंड में संचालित 112 अन्य विद्यालयों से इस लिए अलग है, क्यूंकि इस विद्यालय में न केवल 90 से 100 फीसदी छात्रों की उपस्थिति दर्ज होती है बल्कि इस विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए प्रधानाध्यापक ने स्थानीय मुंडारी भाषा में एक स्लोगन स्कूल के दीवार पर लिखवाया है, उरी मेरोम गुपी रेयो स्कूल ले सेना, बासी मांडी जोमे रेयो स्कूल ले सेना, कोदे होलोंग जोमे रेयो स्कूल ले सेना मुंडारी भाषा का यह शब्द लोगों को खूब भा रहा है इसका अर्थ होता है बैल बकरी चरायेंगे फिर भी स्कूल जायेंगे,
बासी भात खायेंगे फिर भी स्कूल जायेंगे,मडुआ रोटी खाएंगे फिर भी स्कूल जायेंगे ।यहां के बच्चे हरेक दिन प्रार्थना के बाद इस स्लोगन का उच्चारण कर क्लास रूम में जाते हैं और छुट्टी के बाद इस स्लोगन को पढ़ कर ही घर जाते हैं। इसी स्लोगन के कारण प्रधानाध्याक को राज्य स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है। विद्यालय में कुल 46 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। स्कूल में नामांकित सभी बच्चों का आधार कार्ड व अपना बैंक अकाउंट है। बच्चे व शिक्षक समय पर स्कूल आते हैं। विभागीय निर्देश के आलोक में मध्याह्न भोजन योजना का संचालन यहां निर्धारित मेन्यू के आधार पर किया जाता है। जलडेगा का यह विद्यालय आज मात्र दो शिक्षक के प्रयास से निजी विद्यालयों को टक्कर दे रहा है। स्कूल में साफ-सफाई के साथ-साथ बेहतर शैक्षणिक माहौल भी है। जाे छात्र-छात्राओं को कक्षा की ओर आकर्षित करता है। इधर लीड्स संस्था के सहयोग और लगातार प्रशिक्षण के बाद विद्यालय के प्रबंधन समिति सदस्य जागरूक हुए और शिक्षा के महत्व को समझकर ग्राम सभा के माध्यम से स्कूल में बच्चों की नामांकन, जीरो ड्रॉपआउट और आदर्श विद्यालय को लेकर चर्चा करने लगे हैं।

बुलंद हौसले के साथ जर्जर भवन में बच्चों को पढ़ा रहे हैं शिक्षक सत्यवान साहु

अगर मन में हो कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो इंसान राई को भी पहाड़ बना सकता है। इस कहावत को चरितार्थ किया है उक्त विद्यालय के प्रधानाध्यापक सत्यवान साहु ने। शिक्षक सत्यवान साहु ने अपनी मेहनत ,अपने लगन, अपनी जिद्द के कारण एक सरकारी विद्यालय की तस्वीर ही बदल डाली। वर्ष 2001 में योगदान करने वाले सत्यवान साहु को गरीब और पिछड़े हुए लोगों को शिक्षा से जोड़ने और समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा अपने पिता से मिली थी। काफी पुराना होने के कारण स्कूल की छत गिरने लगी है, दीवारें कमजोर हो गई है, फिर भी शिक्षक सत्यवान साहु जर्जर भवन में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ऐसा नहीं है की उन्होंने इस बाबत विभाग को जानकारी नहीं दी है, स्कूल के एसएमसी अध्यक्ष नेलन तोपनो और प्रधानाध्यापक सत्यवान साहु ने तत्कालीन उपायुक्त सुशांत गौरव, विधायक बिक्सल कोंगाड़ी, पूर्व शिक्षा मंत्री स्व जगरनाथ महतो, बीआरसी जलडेगा, बीडीओ जलडेगा सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में भी कई बार लिखित आवेदन देकर जर्जर भवन को मरम्मत करने की गुहार लगा चुके हैं पर हर जगह उन्हें सिर्फ और सिर्फ आश्वासन ही हाथ लगी।

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