सिमडेगा: मुम्बई के वशई के अंतर्गत नायगांव में ‘ पहुंच’ संस्था द्वारा आयोजित छोटानागपुर आदिवासी मेला में इंडियन काथलिक यूथ मूवमेंट सिमडेगा धर्मप्रान्त के अध्यक्ष सह ठेठईटांगर पश्चिमी जिप सदस्य अजय एक्का ने बतौर वक्ता अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत का मतलब केवल नाच-गान नहीं है बल्कि संस्कृति समुदाय विशेष की सम्पूर्ण जीवन शैली होती है। आदिवासी समुदाय के जीवन शैली के एक एक पहलू में समानता, स्वतंत्रता और भाईचारा का समावेश है। मानव इतिहास में कई दार्शनिक और चिंतक मानव सभ्यता के वैसे मूल्यों को खोजने का प्रयास किया जिनके बिना मनुष्य के व्यक्तिगत और समुदायिक जीवन में सुख शांति और विकास की कल्पना नहीं की सकती और अठारहवीं शताब्दी के दार्शनिकों ने जो मानव मूल्य को खोज निकाला वह है समानता , स्वतंत्रता और भाईचारा जिसको दार्शनिकों ने मानव सभ्यता का सर्वश्रेष्ठ जीवन मूल्य कहा । इसी समानता, स्वतंत्रता और भाईचारा के जीवन मूल्य को आदिवासी समाज अपने जीवन के हरेक पहलुओं में सदियों से जीते आ रहे हैं। यही आदिवासी संस्कृति की महानता को दर्शाती है। आदिवासी मेला में झारखंडी परंपरा की झलकियां देखने को मिली विशेषकर महुआ से ना हुआ शूप और मंडुआ से बना हुआ बिस्किट लोगों को काफी पसंद आया, कई रंगारंग कार्यक्रम और आदिवासी नेग दस्तूर संबधी झांकियां भी प्रस्तुत किये गये । कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कटक भुवनेश्वर महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष आर्चबिशप जोन बरवा विशिष्ट अतिथि मुम्बई महाधर्मप्रांत के बिशप ओल्वीन डी शेल्वा सहित विभिन्न राज्यों से आए गणमान्य आदिवासी अगुवा उपस्थित रहे।
