कोलेबिरा में पारंपरिक विधि व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया सरहुल

कोलेबिरा :- आदिवासी समाज के लोगो ने 11 अप्रैल को कोलेबिरा में सरहुल पर्व धूमधाम के साथ मनाया। जिले भर में इसे लेकर उत्साह का माहौल रहा। पहान के द्वारा जानकारी के अनुसार सरहूल पर्व के साथ नए साल की शुरुआत होती है, वसंत ऋतु में इस पर्व को मनाया जाता है। सरहुल पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन माया जाता है। मान्यता है कि सरहूल पर्व के साथ नए साल की शुरुआत होती है।आदिवासियों के लिए इस दिन का विशेष महत्व है। आज के दिन से ही आने वाले साल का अनुमान लगाया जाता है। इस पर्व में अगले एक साल के भोजन, पानी और खेती के लिए प्रकृति से प्रार्थना की जाती है। सरहूल पर्व को लेकर एक खास परंपरा है, इस पर्व के दौरान गांव का पुजारी जिसे पाहन कहा जाता है। उनके द्वारा मिट्टी के तीन पात्र लिए जाते हैं। जिसमें शुद्ध जल भरकर पूजा करके पूजा के स्थान पर रखा जाता है। अगले दिन प्रातः पाहन के द्वारा मिट्टी के तीनों पात्रों को देखा जाता है। जिससे एक साल के भविष्य का पता चलता है। जल स्तर से निर्धारित होता है भविष्य, यदि पात्रों से पानी का स्तर घट गया है तो वह अकाल की भविष्यवाणी मानी जाती है। वहीं यदि पानी का स्तर सामान्य रहा तो उसे उत्तम वर्षा का संकेत माना जाता है। सरहुल पूजा के दौरान ग्रामीणों द्वारा सरना स्थल साफ-सफाई की गयी। पूर्वजों के समय से चलती आ रही परंपरा में सभी सरना समाज के लोग पारंपरिक पोशाक पहनकर शोभा यात्रा निकाल कर दाढ़ी कुआ पहुंचते है।

मान्यता है कि इसका जल पूरी तरह शुद्ध होता है। इस जल को लेकर पैदल ही वापस पूजा स्थल पहुंचते है। जहां परंपरा के अनुसार झंडा गाड़ा जाता है। पूजा में फूल के रूप में सखुआ के फूल को भगवान पर चढ़ाया जाता है। इसके बाद सभी लोग प्रसाद लेकर अपने अपने घर वापस लौट जाते है। प्रकृति पूजा का पर्व है सरहुल, सरहुल पर्व आदिवासियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण पर्व है। वसंत ऋतु में इस पर्व को मनाया जाता है, यह पर्व मुख्यतः प्रकृति से संबंध रखता है। इस पर्व में आनेवाला साल हमलोगो के जीवन में खुशहाली लाएं। किसानों के चेहरे पर हमेशा खुशी बनी रहे, भोजन पानी का कमी हमारे जीवन में न हो, आने वाले साल में सुखा आकाल न पड़ें, इसकी प्रार्थना की पहान के द्वारा किया गया। इसके बाद चना और गुड़ का प्रसाद वितरण किया गया। मौके पर जिला परिषद अध्यक्ष रोज प्रतिमा सोरेंगे, प्रखंड प्रमुख दुतामि हेमरोम, उप प्रमुख सुनीता देवी, कोलेबिरा मुखिया अंजना लकड़ा के अलावा हजारो के संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

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