गुझरिया में सैकड़ों वर्षो से अपनी कला से आजीविका का साधन बनाकर जी रहे बुनकरों से उपायुक्त ने की मुलाकात

गांव में मल्टीपरपज भवन निर्माण कर बुनकरों के लिए अत्याधुनिक मशीनों का किया जाएगा स्थापना

केरसई: प्रखण्ड के गुझरिया गांव में बुनकर शिल्पकार पीढ़ि दर पीढ़ि अपनी कला से आजीविका का साधन बुन रहें है। जिसे जानने हेतु उपायुक्त सुशांत गौरव गुझरिया मंगलवार को गांव पहुंचे, उन्होने बुनकर शिल्पकार एवं ग्रामीणों संग बैठक की वहीं गांव के भानु मेहर एवं पुष्पा देवी से घर में धागा से बुनकर बनाये जा रहें कला की शिल्पकारी का जायजा लिया। बुनकर शिल्पकारों के लिए बनाये जा रहे मल्टीपर्पस भवन निर्माण कार्य का निरीक्षण किया, साथ हीं गांव का भ्रमण करते हुये ग्रामीणों को मिलने वाली मूलभुत सुविधाओं का जायजा लिया। उपायुक्त ने ग्रामीणों संग बैठक की। गांव के लोगों ने बताया कि कपास की खेती कर छागा बनाते थें, पुरखा से बुनकर का कार्य करते आ रहें है। पहले 20 से 30 रूपये में धागा का बन्डल मिलता था, अब उसका एक हजार जैसा रूपया हो गया है, गांव में पीढ़ि दर पीढ़ि की गरीबी आज भी है, युवाओं में भविष्य को लेकर कोई भी अवधारणा नहीं प्रकट हुई। उपायुक्त ने बुजूर्गों के रहन-सहन एवं युवा में स्टाईल की प्रवृति को देख कहा कि युवा वर्ग गांव-समाज को डेवलोप करने का जिम्मेवारी को समझे, समय काट कर भविष्य को बेकार न करें। गांव वालो ने बताया कि शहरों में तकनीक से जुड़कर बुनकर का कार्य किया जाता है, जिससे हमारे द्वारा हाथ से बुनकर बनाने में ज्यादा समय एवं कम मुनाफा होता है, जिसके कारण पहले के मुकाबले अब कम लोग हीं बुनकर का कार्य कर रहे है। इसके अलावे उपायुक्त ने अन्य सारी बातें ग्रामीणों से जाना। उन्होने कहा कि आपलोग बुनकर की कला पर गर्व करते है। आपने जो सिखा है, वो बनाया है। जिस तकनीक से जुड़ने की दरकार आपको महसुस हो रही है, जिससे आप आर्थिक रूप से स्वलंबन बनेंगे, उसे मूर्तरूप देने की दिशा में आपके गांव में बहुउद्देश्य भवन का निर्माण किया जा रहा है, जहां मशीन का अधिष्ठापन किया जायेगा। उन्होने ग्रामीणों से कहा कि आप बतायें आपको कौन सा मशीन चाहिए जिससे आपको ज्यादा मुनाफा हो और पीढ़ि की परंपरा को गांव में पुनः नये सिरे से बिजनेस मॉडल के रूप में विकसित कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सजग बनाया जाये। बुनकर कला का तकनीकी प्रशिक्षण ग्रामीणों को एक्सपोजर विजिट कराते हुये कराया जायेगा। उन्होने कहा कि मेहनत करना होगा, समय के साथ सभी जरूरते पुरे होते जायेंगे। बाजार व्यवस्था को भी दुरूस्त किया जायेगा। उन्होने उपस्थित युवा वर्ग से कहा कि आपके माता-पिता बुनकर का कार्य करके पढ़ा-लिखा रहे है। मां-बाप का दोहन न करें, पढ़-लिख कर गांव में तकनीक को विख्यात करें। उन्होने ग्रामीणों के बीच बुनकर कार्य का वर्क बटवारा करने की बात कही। कहा कि कार्य में सभी की सहमति होना चाहिए। मौके पर एक व्यक्ति ने कहा कि गांव में पलायन की भी समस्या है। उपायुक्त ने कहा कि पलायन मेहनत से भागने की प्रवृति है। गांव में आर्थिक गतिविधि के लिए सुविधायें उपलब्ध है, खेत-जमीन सहित कला जैसी हुनर है, मेहनत कर गांव में हीं बड़े शहरों में पलायन करने से ज्यादा आय होगा और गांव-समाज का मान-सम्मान भी बढ़ेगा। कहा कि ऐसा किजिए की लोग आपके कार्य के बारें में बतायें। यही पर काम करने से ज्यादा फायदा होगा। उपायुक्त ने बुनकर शिल्पकारों के लिए मशीन क्रय का प्रस्ताव समर्पित करने का निर्देश दिया। उन्होने ग्रामीणों से कहा कि सरकार अपने दम पर प्रथम चरण में आपको पुरी मदद करेगी, आगे आप अपने दम पर आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देंगे, पुनः लाभुक बनने की प्रवृति को न डेवलोप करें। 

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