केरसई :प्रखंड के किनकेल बाजार के समीप सरहुल त्योहार गाँव के पहान रामेश्वर बैगा द्वारा विधिवत पूजन किया।सरहुल त्योहार का जुलूस किनकेल चटी किनकेल चौक होते हुए बाजार टोली के पूजा स्थल तक किया गया।इस बिशेष त्योहार को धूमधाम के साथ मनाने के लिए झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन जन संगठन के अनूप लकड़ा, खुशीराम कुमार, तेलेस्फोर तोपनो एवं सुलभ नेल्सन डुंगडुंग को आमंत्रित किया गया।इस त्योहार को बेहतरीन रूप से सफल बनाने के लिए प्रफुल्ल बिलुंग, राफेल कुल्लु, रजत टेटे,एरिक कुजूर, जुवेल कुजूर, किशोर किड़ो, बिदुरनाथ मांझी,अजित लकड़ा, विमल बड़ा, भेंसेलस लकड़ा,सयुंक्ता मिंज, एलेक्स जॉनसन केरकेट्टा, पुष्पा तिग्गा, लालदेव मांझी, रोमांनुसकेरकेट्टा, कुमुद बा,लहरू चिक बड़ाईक, कामेश्वर मांझी, मेनका खाखा, किन्दा रानी एक्का, दुलारी देवी रायमती देवी, सावित्री देवी, बसंती देवी, मुनि देवी, प्रतिमा मिंज, नीता मिंज, उषा बिलुंग, निर्मला कुल्लु ने अग्रणी भूमिका निभाई।मौके पर राजकीय कृत उत्क्रमित मध्य बिधालय करंगागुड़ी के विद्यार्थियों ने कई एक तरह की सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं संगीत प्रस्तुत किये एवं चवँरा टांड के नृत्य मंडली द्वारा नाच गीत संगीत प्रस्तुत किया भी किया गया।इस बिशेष अवसर पर अनूप लकड़ा ने कहा कि सरहुल त्योहार हमारे राज्य के प्रमुख त्योहारों में से एक है सरहुल आदिवासियों की प्रमुख त्योहार है,ये त्योहार चैत्य महीना के शुक्ल पक्ष में तीसरे दिन पर मनाया जाता है।इस त्योहार पर त्योहार में (सखुआ)शाल बृक्ष के फूलों को एक दूसरे के मस्तक और कानों पर लगाया जाता है। इस अवसर पर खुशीराम ने कहा कि सरहुल त्योहार बसंत ऋतु में आदिवासियों द्वारा मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहार है।इस त्योहार के माध्यम से लोग प्रकृति की पूजा अर्चना करते हैं और प्रकृति को बचाने के लिए संकल्प लेते हैं।सरहुल त्योहार को मनाने के लिए सैकड़ों लोगों की उपस्थिति रही।
