नगाड़े की थाम के बीच पार्वती शर्मा इंटर कॉलेज परिसर में मना डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती, थिरके विधायक भूषण बाड़ा सहित अन्य सभी अतिथि

सिमडेगा:उमंग, उत्साह और ढ़ोल नगाड़े के थाप के बीच मंगलवार की देर रात पार्वती शर्मा इंटर कॉलेज में डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती मनाई गई। मौके पर रंगारंग आदिवासी संस्कृति नाच का आयोजन किया गया। इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सिमडेगा विधायक भूषण बाड़ा और उनके साथ मौजूद उनकी धर्मपत्नी सह जिप सदस्य जोसिमा खाखा भी ढ़ोल, नगाड़े और मांडर की थाम पर झूमते हुए नजर आए। विधाय आधारित नृत्य की प्रस्तुति कर माहौल को खुशनुमा बनाया। अब बारी थी विधायक भूषण बाड़ा के संबोधन की। उन्होंने डॉ राम दयाल मुंडा के कथन-जे नाची से बाची से अपना भाषण शुरू किया और सबको अखडा में थिरकने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि डॉक्टर रामदयाल मुंडा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे झारखंड आंदोलन के अगुआ थे। उनकी पहुंच देश-विदेश के साहित्यिक- सांस्कृतिक-राजनीतिक मंचों तक सहज रूप में थी।

रामदयाल मुंडा की प्रतिष्ठा गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर-पूर्वी आदिवासी समाजों में जैसी रही, वैसी बहुत कम आदिवासी बुद्धिजीवियों की रही है। विधायक भूषण बाड़ा ने कहा कि आदिवासी समाज, साहित्य, कला और संस्कृति के संदर्भ में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।बता दें कि पार्वती शर्मा इंटर महिला कॉलेज सिमडेगा में छोटानागपुरी लोक संगीत नृत्य प्रशिक्षण केंद्र सिमडेगा द्वारा टाटा स्टील फाउंडेशन के सौजन्य से पहली बार पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की 83 वीं जयंती सह अखड़ा कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कर्यक्रम का उदघाटन विधायक भूषण बाड़ा, टाटा स्टील फाउंडेसन के मैनेजर शिव शंकर काण्डेयोंग,जिला खेल पदाधिकरी प्रवीण कुमार, जिप सदस्य जोसिमा खाखा, संत जेवियर कॉलेज के प्राचार्य फादर एफ्रेम बा: ,संत मेरीज हाई स्कूल के प्राचार्य फादर फेड्रिक कुजूर,टाटा स्टील फाउडेशन के फील्ड कोडिनेटर रितेश टुडु, हरीश सिंह सरदार,सुदर्शन भूमिज,साधु मलुवा,टी पी सिंह,मोहन साहु, गोलोरिया सोरेंग,सिस्टर फुलरीदा,सत्यव्रत ठाकुर,संजय मिश्रा,श्याम सुंदर मिश्रा, सोनी सूचिता मिंज,प्रो आर के कासी, शीला देवी,नोमिता बा, के द्वारा डॉ रामदयाल मुंडा के तस्वीर पर फूल माला चढाते एवं नगाड़ा बजा कर किया गया।वहीं शिव शंकर काडेयोंग ने कहा अखड़ा को बचाने के लिए नई पीढ़ी के लोगों को आगे आना होगा। कलाकारों को नि:स्वर्थ भाव से अखरा को बचाने के लिये आगे आने की बात कही।

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