समाप्त हो रही होली के त्यौहार में पारंपरिक लोकगीतों की परंपरा, डीजे और फूहड गाना ले ले लिया स्थान

ठेठईटाँगर: होली के त्यौहार का स्वरूप बदल गया है। होली से एक सप्ताह पूर्व गीत गोविंद का चलने वाला दौर समाप्त हो गया है। होली के दिनों में अब परिवार के लोग अपने परिवार में सिमट कर रह गए हैं।होली के अवसर पर बच्चों के नए कपड़े रंग गुलाल की परंपरा धीरे-धीरे बदलता जा रहा है। होली लोकगीतों का स्थान फूहड़ डीजे ने ले लिया है। प्राकृतिक रंगों का स्थान अब लोग केमिकल डाले हुए रंगों से होली खेलते हैं। ग्रामीण इलाकों में होलिका दहन का उमंग भी कम हो गया है, होलिका दहन के लिए लकड़ी इकट्ठा करना एवं दूसरे के घरों से लकड़ीयो का चोरी करना एवं सार्वजनिक रूप से होलिका दहन करने का भी स्वरूप बदल गया है। पहले लोग होलिका दहन में यदि शामिल नहीं होते थे उनके घरों में कीचड़ कादो का घड़ा मुख दरवाजे पर चोरी छुपे पटक दिया जाता था और घर के मुखिया को जब सुबह में पता चलता था तो तू खूब गाली गलौज करते थे जिससे युवाओं की मंडली खूब होली का मजा लेते थे। 65 वर्षीय बसंत प्रसाद ने बताया होली पर्व में अब सामूहिकता की कमी आई है, पहले सभी धर्म के लोग मिलजुल कर होली खेलते थे। 85 वर्षीय राजेंद्र प्रसाद ने बताया होली पहुंचने से 10 दिन पहले ही लोग लाल झांझर ढोलक लेकर युवाओं एवं बुजुर्गों की टोली के एक साथ मिलकर पारंपरिक होली लोक गीत गाकर मनोरंजन किया करते थे।65 वर्षीय सुदामा सिंह ने बताया पहले और अब होली खेलने का तरीका बदल गया है पहले होली सामाजिक रिश्ते के अनुरूप बड़े छोटे के अनुरूप होली खेला जाता था एवं बुजुर्गों के पैर पर अबीर डालकर उनसे आशीर्वाद दिया जाता था। लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं है।55 वर्षीय आदित्य प्रसाद ने बताया पहले होली के पूर्व से गाना बजाना का दौर शुरू होता था जो त्यौहार बीतने तक चलता रहता था लेकिन अभी स्थिति नहीं है अब होलिका दहन से दूसरे तीसरे दिन अमीर गुलाल के साथ होली समाप्त हो जाती है। 55 वर्षीय विजय ठाकुर ने बताया पहले होली के दिनों में घड़ा पटकना, होलिका दहन के लिए लकड़ी चोरी कर इकट्ठा करना, सारे ग्रामीण एक जगह इकट्ठा होकर फगुआ गीत गाना आदि परंपरा युवाओं में धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है।होली के दिन लोग फगुआ गीत जोगी सरारा, रामा खेले होली लक्ष्मण खेले होली, दुश्मन भी गले मिल जाते हैं जैसे गीत गाकर गले शिकवे भूल कर गले लगाते थे एवं होली का त्यौहार मनाते थे।

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