कौन सुनेगा, किसको सुनाएं…. इसलिए चुप रहते हैं, जलडेगा प्रखंड के विभिन्न जगहों पर पेयजल का संकट गहराया

जलडेगा:विश्व जल दिवस मनाकर सबने फोटो तो खींचवा ली लेकिन गांव टोलों में जल संकट कैसे दुर होगा इस पर सवाल कभी नहीं उठा, अगर उठा भी तो कभी किसी जनप्रतिनिधि व अधिकारी स्वयं दुबारा इन सभी समस्याओं को समाधान करना जरूरी ही नहीं समझता। पंचायतों में छोटी छोटी तकनीकी समस्याओं के कारण लाखों रुपए के जलमीनार बेकार पड़े हैं, यूं कहा जाए तो लाखों रुपए के जल मीनार अधिष्ठपित करने के नाम पर पंचायत के पैसों का दुरुपयोग किया गया है। जल मीनार तो बन गया, कमीसन के पैसे भी हजम हो गए लेकिन अब कोई भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी उस जल मीनार के तरफ मुड़ कर नहीं देखता। यही कारण है कि लोग अब जनप्रतिनिधि और अधिकारियों से उम्मीद लगाना छोड़ चुके हैं। विश्व जल दिवस के अवसर पर “राष्ट्रीय नवीन मेल” टीम को कई जगह से जल संकट की समस्याओं को लोगों ने बताया और कहा कि उनके द्वारा जल मीनार अथवा पेयजल समस्या को लेकर कई बार आवाज उठाई जाती है, लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ते तो हैं पर उन्हें उनका हक नहीं मिल रहा है। जलडेगा प्रखंड अंतर्गत लमडेगा पंचायत के बनजोगा गांव में पिछले 8 महीनों से जलमिनर खराब पड़ा है जिसके कारण पानी पीने के लिए ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ग्रामीणों ने बताया कि उनके द्वारा कई बार मुखिया, जल सहिया यहां तक की जनता दरबार में भी आवेदन दिया गया था लेकिन अभी तक जल मीनार का दुरुस्त नहीं किया गया। वहीं कुछ ही वर्षों में जल मीनार के सभी पाइप जंग के कारण टूटने की स्थिति में है। वहीं लमडेगा खास कमलेश सिंह के घर पास में बना जलमीनार का सेंटेंस फटने से पानी जमा नहीं ही पाता है, सेंटेंस को कई बार चिपकाया भी गया लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। ये समस्या पहले भी समाचार के माध्यम से डाला गया था जिसके बाद ग्रामीणों को यह कहकर डांट मिला था कि मामला को समाचार में दीजिएगा तो गांव में सरकारी योजना नहीं आएगा। वहीं लमडेगा बराईबेड़ा गिरजाघर के पास पिछले लगभग तीन वर्ष से जल मीनार खराब पड़ा हुआ है, पानी के लिए महिलाओं को एक किलोमीटर दूर दाड़ी के पास जाना पड़ता है।टाटी पंचायत के तितलिंग बिरहोर टोली में बसंत तिड़ू के पास दो नल दिसम्बर माह से ही खराब पड़े हैं, ग्रामीणों ने कहा की आधा घंटा तक नल को चलाने पर बहुत मुश्किल से पानी निकलता है। इस टोली में कुल बारह परिवार स्वच्छ पेयजल की किल्लत से जूझ रहे हैं।
इधर पतिअम्बा सराई टोली में लगा जल मीनार भी पिछले कई महीनों से खराब है। इधर लंबोई बसैर गांव और रोबगा ब्रिंगा टोली में पानी की समस्या, वहीं सावनाजारा गंझु टोली के ग्रामीण खेत में बने एक चूंवा का पानी पीने को विवश हैं। रा.प्रा.विद्यालय सिमरिया, पंचायत लमडेगा का भी चापाकल ख़राब होने से स्कूल के बच्चे सहित शिक्षकों को पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है।

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