जे नाची से बांची” नारा देने वाले शख्सियत डॉक्टर रामदयाल मुंडा की पार्वती शर्मा इंटर कॉलेज में मनाई गई जयंती

सिमडेगा : पार्वती शर्मा इंटर महिला कॉलेज सिमडेगा में डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती मनाई गई इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य सत्यव्रत ठाकुर के द्वारा दीप जलाते हुए डॉ रामदयाल मुंडा की तस्वीर पर माल्यार्पण कर फूल माला अर्पित किया गया। उपस्थित शिक्षक एवं क्षेत्र कर्मचारियों सहित छात्रों को संबोधित करते प्राचार्य सत्यव्रत ठाकुर ने कहा कि डॉ रामदयाल मुंडा का जन्म 23 अगस्त 1939 को तमाड़ के देवरी गांव में हुआ था एवं उनकी मृत्यु 30 सितंबर 2011 को कैंसर से हो गई थी। डॉ रामदयाल मुंडा आदिवासी समाज के अगुवा थे।उन्होंने आदिवासी समाज को आगे बढ़ाने में बहुमूल्य योगदान दिया है उनके द्वारा ही जे नाची से बांची का नारा दिया गया। डॉ रामदयाल मुंडा साहित्यकार, गीतकार थे डॉ रामदयाल मुंडा के प्रयास से रांची विश्वविद्यालय में जनजाति एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग की स्थापना 1980 में की गई एवं 1981 में जनजातीय क्षेत्रीय भाषा विभाग के पहले अध्यक्ष के रूप में इनका इनकी नियुक्ति हुई। 1986 में रांची विश्वविद्यालय के कुलपति बने डॉ रामदयाल मुंडा को झारखंड के रविंद्र नाथ टैगोर के रूप में जाना जाता है। डॉ रामदयाल मुंडा झारखंड से राज्यसभा के लिए मनोनीत होने वाले पहले व्यक्ति थे। श्री मुंडा को भारत सरकार द्वारा 2007 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार तथा वर्ष 2010 में सांस्कृतिक योगदान हेतु पदमश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। इनके द्वारा मुंडा और नागपुरी में गीत एवं कई किताब लिखे गए हैं सरहुल पर्व में जुलूस की शुरुवात इनके द्वारा ही किया गया था। हमे इनके जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।मौके पर शिक्षक दुर्गविजय सिंह देव द्वारा भी डॉ  रामदयाल मुंडा के द्वारा जो नारा दिया गया है उसे आगे बढ़ाने की बात कही गई,इससे पूर्व सभी शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारियों एवं छात्राओं द्वारा श्री मुंडा के तस्वीर पर फूल चढ़ा कर श्रधांजिल दी गई.मौके पर शिक्षक दुर्गविजय सिंह देव,आर के कासी,एलिजाबेथ केरकेट्टा, निशात अंजुम,मनोरमा सुनीता मिंज,राबिया तब्बसूम,किरण माला देवी,सतीश सिंह,रवि पाढ़ी,अनिमा कुमारी,अमृता कुमारी,मुख्य रूप से शामिल थे।

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